स्टार होटल्सः ईडी का फरार आरोपी मिला…ड्र्ग्स सप्लाई का चेन फूटा…पार्किंग से करोड़ों रुपए जब्त…और अब मर्डर…क्योंकि पुलिस एक रूम नहीं खुलवा सकती
The Stambh News Analysis : Nawab Fazil
रायपुर के थ्री-स्टार होटल में रविवार को हाईप्रोफाइल परिवार की युवती का शव मिला, पुलिस को मर्डर का पूरा अंदेशा है। चलिए, कुछ पुरानी बातें करते हैं। रायपुर के होटल जैसे एक क्लब में तीन साल पहले फायरिंग के बाद ड्रग्स, लड़की और पार्टियों के अलावा बहुत सारा कचरा सतह पर आया था, पर ज्यादा कुछ हुआ नहीं। खैर, इस साल की बात करें तो ईडी ने एक बड़े घोटाले में फरारी काटते हुए प्रमुख आरोपी को एक स्टार होटल से दबोचा था। ऐसे ही लग्जरी होटल में एक गैंग को ड्रग्स का धंधा चलाते हुए पकड़ा गया था। एक और स्टार होटल की पार्किंग में एक कार रखी थी, जिससे ईडी ने ही करोड़ों रुपए जब्त किए थे। और अब स्टार होटल में युवती शव मिल गया। ये वह घटनाएं हैं, जो सामने आ गईं। लोगों की मानें तो ये Tip of the icerberg है, यानी गंभीर समस्या का थोड़ा सा हिस्सा जो नजर आ रहा है। दरअसल स्टार होटल आम लोगों तो क्या, पुलिस की भी पहुंच में नहीं लगते हैं। क्या आप यकीन करेंगे कि शुक्रवार की रात पुलिस भी उस कमरे को नहीं खुलवा सकी, जिसमें एक लड़की की लाश पड़ी थी। होटलों में आरोपी फरार काट लेते हैं, ड्रग्स का काम चलता है, करोड़पति लेकिन लफंगे लड़के आराम से फायर करते हैं, घोटाले के नोटो की गड्डियों का लेन-देन हो जाता है…क्योंकि पुलिस एक रूम तक नहीं खुलवा सकती…।
रायपुर और छत्तीसगढ़ के स्टार होटल किसकी निगरानी में हैं? ये अजीब सा सवाल है, जाहिर है कि निगरानी तो पुलिस ही करती है। लेकिन ऊपर लिखी 10 लाइनें क्या यह नहीं बतातीं कि इन होटलों के मामले में पुलिस कितनी विवश हो जाती है। इसकी वजह भी है। दरअसल यहां जाने वाला हर दूसरा व्यक्ति प्रभावशाली है। जरा सी चूक हो जाए तो लोग सीधे वर्दी को बीच में घसीट लेते हैं। यकीन करिए, जब यहां पार्टियों में नशेड़ी भिड़ते हैं, मारपीट होती है, पिस्टल चमकती हैं और पुलिस पहुंच जाती है, तो कई बार ऐसा भी हुआ है कि मिलिनेयर लफंगे पुलिसवालों की बेइज्जती से भी बाज नहीं आते। बाद में वे खुद ही बताते हैं कि किस पार्टी में क्या कांड किया था, तब बात बाहर आती है। कुछ झगड़े रिपोर्ट होते हैं, कुछ नहीं होते। जो रिपोर्ट भी होते हैं, वह इतनी मजबूरी में कि दोनों पक्ष थानों में आ जाते हैं, इसलिए एफआईआर करनी पड़ती है। बात गलत लग रही है तो पुलिस अफसरों से पूछ लीजिए…उनका दर्द उभर जाएगा। ऐसे इलाकों में पोस्ट होने वाला हर इंस्पेक्टर-डीएसपी आपको एक न एक अनुभव जरूर बता देगा कि उसे किस मजबूरी में किसी प्रभावशाली या उसकी औलाद को छोड़ना पड़ा…खुलेआम क्रिमिनल एक्टिवटीज के बाद भी।
स्टार होटलों में आपको संभ्रांत परिवार ज्यादा दिखेंगे। ऐसे लोग भी, जो परिवार की खुशी के लिए महीनों सेविंग्स करके साल में एक-दो बार इन होटलों में अपने बच्चों का बर्थ-डे मना लिया करते हैं, या न्यू इयर पार्टी का टिकट लेकर पहुंच जाते हैं। स्टार होटलों में नजर आने वाले ज्यादातर लोग ऐसे ही होते हैं, इसलिए पुलिस को भी यकीन रहता है कि निगरानी की जरूरत नहीं। लेकिन इन होटलों में मिलिनेयर लफंगे (कई बार लफंगियां भी) आपको बिलकुल नहीं दिखेंगे, क्योंकि उनका होटल में अड्डा ही अलग है। छिपा हुआ, कमरों में, बिलकुल पर्सनल…। ऐसे अलग-अलग ग्रुप अलग होटलों में मिलेंगे। कौन कहां मिल जाएगा और वहां उसका क्या रोल-काल (ये नया शब्द) चलता है, शहर के अधिकांश लड़के आपको बता देंगे। कुछ लड़कियों को भी इसकी जानकारी रहती है। रोल काल मतलब… ड्राई डे में रात 2 बजे ड्रिंक्स चाहिए… भाई दिला देगा न… इसे कहते हैं रोल-काल। इनसे होटल प्रबंधनों को भी दिक्कत नहीं है, क्योंकि एक-एक चीज का पेमेंट हो जाता है। कई बार सामान्य से डबल-ट्रिपल। यानी कि सबका काम चल रहा है।
जब सब कुछ सहमति से चल रहा है तो पुलिस क्या करेगी। जाहिर है कुछ नहीं। जब कोई कांड होगा, तब बेचारे आएंगे, कार्रवाई करेंगे और लौट जाएंगे। अगर कोई कांड रिपोर्ट नहीं हो रहा है, तो घुस नहीं सकते। क्योंकि रात में ऐसे होटलों में पुलिस एक रूम तक नहीं खुलवा सकती…।