बाइसन को मारा बेहोशी का इंजेक्शन, होश में लाने वाली दवा एक्सपायर्ड, मौत… वन विभाग के सीनियर डॉक्टर पर बड़ा एक्शन

छत्तीसगढ़ में अभी 40 बायसन को बारनवापारा से गुरु घासीदास अभयारण्य कोरिया में शिफ्ट किया जा रहा। बाइसन यहाँ ट्रैंक्युलाइज़ कर बेहोश किए जा रहे हैं, फिर उनकी शिफ्टिंग की जा रही है। इसी दौरान एक बड़ी चूक सामने आई है, जिसके चलते एक बाइसन की मौत हो गई। दरअसल इस काम की ज़िम्मेदारी निभा रहे वन विभाग के डॉ राकेश कुमार वर्मा और डॉ अजीत पांडे ने दो बाइसन को बेहोशी का जो इंजेक्शन मारा और होश में लाने वाली जो दवाई दी, जांच में वह एक्सपायर्ड निकल गई। इस वजह से एक बाइसन ने दम तोड़ दिया और दूसरा भी मुश्किल से बचा। जांच के बाद रायपुर जंगल सफारी में पदस्थ डॉ वर्मा को वन्य प्राणियों से जुड़े कार्य से ही हटा दिया गया है। यह आदेश प्रभारी सीसीएफ सतोविशा समाजदार ने जारी किया है।राजधानी से नजदीक बारनवापारा अभयारण्य में दोनों डॉक्टरों ने एक 25 जनवरी को दो बायसन को सुबह 5 बजे बेहोशी का इंजेक्शन मारा था। इनमे से एक मादा मौके पर बेहोश हो गई, जबकि दूसरा कुछ दूर भागकर गिरा। मादा को ले जाने के लिए गाड़ी में डाल दिया गया। दूसरा नर इतना भारी था कि उसे उठाया नहीं जा सका। अनिष्ट की आशंका से इस बाइसन को होश की दवाई दे दी गई। वह कुछ देर में उठा और भागकर झुंड में शामिल हो गया। इधर, कोरिया ले जाई गई मादा गौर की अगले दिन मृत्यु हो गई। उसकी मौत की वजह एक्सपायर्ड इंजेक्शन होने की बात आई तो पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ ने जांच के आदेश दिए और प्रभारी सीसीएफ को ज़िम्मेदारी सौंपी। आईएफएस समाजदार ने जांच में पाया कि बेहोशी से रिवाइवल की दवा Activon (diprenorpine HCL 12 mg) सालभर पहले यानी मार्च 2024 में ही एक्सपायर्ड हो चुकी थी। डॉक्टर ने स्वीकार किया कि इसी दवा का उपयोग हुआ था। इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए डॉ वर्मा को न सिर्फ जंगल सफारी से हटाया गया, बल्कि उन्हें वन्य प्राणियों के इलाज और देखरेख से ही पूरी तरह अलग कर दिया गया है।