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बड़ी खबरः कवर्धा का भोरमदेव टाइगर रिजर्व केंद्र से मंजूर… दर्जनों गांव हटने की आशंका से 10 साल से रुका था प्रस्ताव… सांसद बृजमोहन की पहल पर लगी मुहर

नई दिल्ली से एक अहम खबर यह आई है कि कवर्धा में भोरमदेव टाइगर रिजर्व पर केंद्र सरकार ने मुहर लगा दी है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के जरिए इस मामले में छत्तीसगढ़ सरकार को दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं। इस आधार पर छत्तीसगढ़ सरकार इस प्रस्ताव को अंतिम रूप देने जा रही है। यह जानकारी रायपुर के सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने दी है। भोरमदेव टाइगर रिजर्व स्थापित करने के लिए सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने ही केंद्रीय वनमंत्री यादव को चिट्ठी लिखकर पहल की थी, जिस पर यह एक्शन हुआ है। सांसद बृजमोहन ने केंद्रीय वन मंत्री को पत्र भेजकर कहा था कि भोरमदेव अभ्यारण्य कान्हा टाइगर रिजर्व के बफर एरिया से जुड़ा हुआ है। इस लिहाज से वन्यजीव संरक्षण की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। बता दें कि एनटीसीए ने 28 जुलाई 2014 को भोरमदेव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने की अनुशंसा की थी, क्योंकि यहां कान्हा के टाइगर्स का मूवमेंट लगातार बना रहता है। एनटीसीए की अनुशंसा के बाद छत्तीसगढ़ राज्य वन्यजीव बोर्ड ने भी मंजूरी दी थी। तत्कालीन डा. रमन सरकार में भोरमदेव टाइगर रिजर्व बनाने की प्रक्रिया भी शुरू हुई, लेकिन कोर एरिया से दर्जनों गांवों के सैकड़ों लोगों के विस्थापन की आशंका मुद्दा बन गई थी। इस आधार पर मामला कुछ समय के लिए टला और फिर छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार आ गई। कांग्रेस सरकार ने पूरे पांच साल इस प्रस्ताव को रोके रखा था। लेकिन अब सांसद बृजमोहन की पहल पर एक बार फिर टाइगर रिजर्व की फाइल हरकत में आई है और इसे मंजूरी दे दी गई है।

सांसद बृजमोहन की ओर से जाारी बयान में कहा गया है कि केंद्रीय वन मंत्री के माध्यम से एनटीसीए ने राज्य सरकार को निर्देश जारी कर दिए गए हैं, जिससे इस प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया जा रहा है। भोरमदेव टाइगर रिजर्व के रूप में यह क्षेत्र कान्हा-अचानकमार कारीडोर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनेगा। इसके अलावा बारहसिंगा सहित अन्य दुर्लभ वन्यजीवों के संरक्षण में भी यह क्षेत्र अहम भूमिका निभाएगा। सांसद बृजमोहन ने कहा – “भोरमदेव अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिलने से वन्यजीव संरक्षण को मजबूती मिलेगी। इसके साथ ही, इस क्षेत्र में पर्यटन और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, जिससे स्थानीय लोगों को आर्थिक लाभ मिलेगा और राज्य के राजस्व में भी वृद्धि होगी। यह निर्णय छत्तीसगढ़ के वन्यजीव संरक्षण, पारिस्थितिक संतुलन और सतत विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा।”

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