आयुष्मान से इलाज खतरे में…अस्पतालों को महीनों से पेमेंट नहीं, गुजरात-हरियाणा जैसा न हो जाए…
छत्तीसगढ़ में आयुष्मान योजना के तहत सरकारी और निजी अस्पतालों में गरीबों का इलाज बंद होने का खतरा मंडरा रहा है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की सामान्य सभा में अस्पताल संचालकों ने इस मुद्दे पर गुस्से जताया है। हालांकि उन्होंने कहा कि गरीबों का इलाज बंद नहीं करेंगे, किसी न किसी तरह के इंतजाम करेंगे, लेकिन सामान्य सभा में यह आशंका भी जताई गई कि पेमेंट नहीं होगा तो इलाज कर पाना मुश्किल हो जाएगा। आईएमए की सभा में यह जानकारी भी दी गई कि हरियाणा और गुजरात में पेमेंट की दिक्कत की वजह से निजी अस्पतालों ने आयुष्मान योजना के तहत गरीबों का इलाज बंद कर दिया है और छत्तीसगढ़ में इसी तरह के हालात पैदा हो रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा निजी और बड़े अस्पताल रायपुर में हैं और लगभग सभी के संचालक आईएमए के सदस्य हैं। सभा में तय किया गया कि प्रदेश में आईएमए की सभी शाखाओं के साथ इस बात पर मंथन होगा कि प्रदेश सरकार से भुगतान नहीं मिलने की दशा में आयुष्मान योजना के तहत इलाज बंद कर दिया जाए, या सीमित किया जाए। आईएमए के हास्पिटल बोर्ड के अध्यक्ष डा. अनिल जैन और महासचिव डा. दिग्विजय सिंह ने यह भी बताया कि सभा में डाक्टर इस बात पर भी सहमत थे कि मामला चूंकि इलाज का है, इसलिए सरकार पर भुगतान के लिए दबाव बनाया जाएगा, लेकिन तब तक इलाज किया जाता रहेगा।
अस्पतालों को गरीबों का फ्री इलाज करने पर पेमेंट सरकार करती है, यही 6 माह से बंद
आयुष्मान योजना के तहत इलाज का फंडा यह है कि जो अस्पताल इस योजना के तहत इलाज के लिए अधिकृत हैं, वे आयुष्मान योजना के निर्धारित पैकेज के अनुसार (अधिकतम 5 लाख रुपए तक) इलाज मुफ्त में कर रहे हैं। इस इलाज में अस्पतालों का जो खर्च आता है, उसका भुगतान प्रदेश सरकार की तरफ से किया जाता है। मामला यहीं अटका है। अस्पताल संचालकों के मुताबिक हजारों लोगों का इस योजना के तहत मुफ्त इलाज कर दिया गया है, लेकिन सरकार पिछले 6 माह से इसके एवज में भुगतान नहीं कर रहे हैं। इससे अस्पतालों के सामने भी आर्थिक संकट है। संकट दूर करने के लिए आईएमए पिछले चार महीने से सरकारी अमले के चक्कर काट रहा है। मंत्री जायसवाल से लेकर एसीएस तक से मुलाकात की जा चुकी है। उन्होंने 4 माह पहले आश्वासन दिया था कि भुगतान जल्द होगा, लेकिन अब तक नहीं हुआ। इसलिए कई अस्पतालों के सामने अब आयुष्मान योजना के तहत मुफ्त इलाज करने के मामले में आर्थिक तंगी के हालात बन गए हैं।