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सांसद बृजमोहन के रिश्तेदारों, एसोसिएशन नेताओं की डेढ़ दर्जन राइस मिलें अब तक बंद… छापों के 15 दिन बाद भी सील

राइस मिलर्स की हड़ताल तोड़ने के लिए शासन के फूड डिपार्टमेंट ने जिन राइस मिलों पर छापा मारकर सील किया था, हड़ताल खत्म होने के बाद उनके ताले खुल गए और मिलर्स ने धान का उठाव भी शुरू कर दिया। लेकिन सांसद बृजमोहन अग्रवाल के कुछ रिश्तेदारों, राइस मिलर्स एसोसिएशन के कुछ पदाधिकारियों और अध्यक्ष योगेश अग्रवाल के करीबियों को मिलाकर डेढ़ दर्जन से ज्यादा मिलों की सील अब तक नहीं खुली है। ये रायपुर, आरंग, राजिम, गरियाबंद और बिलासपुर आदि की हैं। इन मिलों पर भी हड़ताल के दौरान छापेमारी की गई थी और मिलों को सील किया गया था। खाद्य विभाग के अफसर इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। ये मिलें क्यों नहीं खोली गईं, इसे लेकर भाजपा के अंदरखाने में चर्चाएं शुरू हो गई हैं।

राइस मिलर्स पिछले तकरीबन 4 हजार करोड़ रुपए के बकाए की मांग करते हुए एक माह तक हड़ताल पर थे। इस दौरान शासन के अफसरों ने उनके साथ कई दौर की बातचीत की, जो नाकाम रही। अध्यक्ष योगेश समेत एसोसिएशन के कुछ पदाधिकारियों ने हड़ताल जारी रखी। चूंकि संग्रहण केंद्रों में धान के पहाड़ खड़े हो गए थे, मौसम की वजह से खतरा बढ़ता जा रहा था, इसलिए शासन के अफसरों ने हड़तालियों पर दबाव बढ़ाने के लिए राइस मिलों पर छापेमारी शुरू कर दी। करीब 15 दिन पहले दो दिन तक प्रदेश की पांच दर्जन से ज्यादा मिलों पर छापेमारी हुई और मिलों को अलग-अलग अनियमितताओं में सील कर दिया गया। इस दौरान राइस मिलर्स एसोसिएशन में बगावत हुई और एक धड़ा अफसरों के समर्थन में आ गया तथा हड़ताल खत्म करने की घोषणा कर दी गई। एसोसिएशन में फुूट देखकर सांसद बृजमोहन अग्रवाल के भाई तथा एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने भी अगले दिन हड़ताल खत्म करने का ऐलान कर दिया। इसके बाद जिन मिलों को सील किया गया था, उन्हें खोलने का सिलसिला शुरू हो गया। लेकिन सांसद अग्रवाल के भतीजे, उनके करीबी, संभवतः खुद योगेश और उनके नजदीकी और एसोसिएशन में हड़ताल की अलख जगाने वाले कुछ पदाधिकारियों की लगभग डेढ़ दर्जन राइस मिलों के ताले नहीं खुले। इनमें से कई राइस मिल संचालक अब शासन के गलियारों में भटकते देखे जा रहे हैं। खास-खास मिलें क्यों नहीं खुल रही हैं, इसे लेकर एसोसिएशन ने भी चुप्पी साध ली है और अफसर भी कुछ नहीं बोल रहे हैं। इस संबंध में अध्यक्ष योगेश से बात करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने यही कहा कि गतिरोध तभी दूर हो गया था, शासन ने राइस मिलर्स को एक किस्त के पेमेंट का आश्वासन दिया है। उसके बाद से राइस मिलें क्रमबद्ध ढंग से खोली जा रही हैं।

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