दुर्ग जेल के बंदी की मौत में नया खुलासा… लूट में 1 माह से बंद युवक की मौत ब्रेन स्ट्रोक से… परिजन को दिखाया गया शव
दुर्ग सेंट्रल जेल में बंद लूट के आरोपी युवक पिंटू नेताम की रायपुर के अंबेडकर अस्पताल मौत तथा सुपेला थाने में परिजन के गुरुवार रात हंगामे के 24 घंटे के भीतर ही मामले ने अलग मोड़ ले लिया है। पुलिस ने खुलासा किया कि फरीदनगर का पिंटू और दो अन्य युवक लूट के मामले में 18 अक्टूबर को गिरफ्तार किए गए और उसी दिन जेल भेज दिए गए थे। जेल प्रशासन के मुताबिक करीब 25 दिन बाद, 15 नवंबर को तबियत बिगड़ने पर उसे दुर्ग जिला अस्पताल में भर्ती किया गया। डाक्टरों ने लो ब्लड प्रेशर बताया और स्थिति सुधरने पर अस्पताल से पिंटू को दो दिन में छुट्टी दे दी गई। अगले दिन यानी 18 नवंबर को दोबारा पिंटू की तबियत बिगड़ी, तो दुर्ग अस्पताल के रिफरेंस से उसे रायपुर के अंबेडकर अस्पताल में लाकर भर्ती किया गया। डाक्टरों ने उसे ब्रेन स्ट्रोक तथा ब्रेन में आक्सीजन सप्लाई कम देखकर आईसीसीयू में भर्ती कर इलाज शुरू किया। तीन दिन बाद उसकी मृत्यु हो गई। मौत के बाद परिजनों ने जेल में पिटाई की वजह से पिंटू की मौत का आरोप लगाते हुए गुरुवार रात जमकर हंगामा किया था और कुछ लोगों ने थाने में तोड़फोड़ की कोशिश भी की।
दूसरी ओर, भिलाई में पुलिस अफसरों ने मीडिया से बातचीत में पिंटू नेताम की जेल में पिटाई से मौत की बातों को बेबुनियाद करार दिया है। सीएसपी ने कहा कि जेल प्रशासन को पिंटू के 18 अक्टूबर को जेल जाने के बाद से तब तक उसके स्वास्थ्य को लेकर कोई शिकायत नहीं मिली थी, जब तक उसकी 15 नवंबर को तबियत नहीं बिगड़ी। पिंटू का पहले दुर्ग के जिला अस्पताल और फिर रायपुर में अंबेडकर अस्पताल में इलाज हुआ है। वहां से पुष्टि की की जा सकती है कि मृतक मिर्गी का मरीज था और उसकी मृत्यु ब्रेन में आक्सीजन की लगातार कमी से हुई। जेल में पिंटू से किसी तरह की मारपीट या प्रताड़ना की बात जांच में नहीं आई है। बवाल के बाद पिंटू का शव उसके परिजन को दिखाया गया, क्योंकि कुछ लोग उसके साथ जेल में मारपीट की अफवाह फैला रहे हैं। दुर्ग पुलिस ने साफ किया है कि मजिस्टीरियल जांच में सारी बातें साफ हो जाएंगी, जो शुरू हो चुकी है। इस बीच, जबर्दस्ती अफवाह फैलाने तथा माहौल खराब करने की कोशिश करनेवालों से सख्ती से निपटा जाएगा।