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Achivement_ एसीआई के डाक्टरों ने दिल अंदर फिट की डिवाइस… फोन पर भेज रही मरीज की हर धड़कन… रेयर सर्जरी का ब्योरा डा. स्मित श्रीवास्तव की जुबानी

छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े सरकारी डा. अंबेडकर अस्पताल के एडवांस्ड कार्डियक सर्जरी संस्थान (एसीआई) ने दूर गांव में रहने वाले एक मरीज की ऐसी सर्जरी कर दी है, जिसके बारे में दावा किया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में पहले नहीं हुई। मरीज का गांव ऐसी जगह है कि उसके लिए बार-बार अस्पताल आना मुश्किल है। उसकी सीधी निगरानी के लिए एसीआई के सीनियर कार्डियोलाजिस्ट डा. स्मित श्रीवास्तव और उनकी टीम ने सर्जरी कर कार्डियक रीसिंक्रनाइजेशन थेरेपी विद डिफाइब्रिलेटर डिवाइस (सीआरटी-डी) सीधे दिल में ही फिट कर दी। यह एआई डिवाइस ब्लूसिंक तकनीक पर आधारित है। यह मरीज के स्मार्टफोन से कनेक्ट है और उसके दिल के भीतर की हर धड़कन (वर्चुअल एल्गोरिदम डेटा) लगातार एसीआई के कार्डियोलाजिस्ट के फोन पर भेजती रहेगी। इस रेयर सर्जरी के साथ एसीआई छत्तीसगढ़ में ऐसा करने वाला पहला संस्थान हो गया है।

ब्योरा कार्डियोलाजिस्ट डा. स्मित श्रीवास्तव की जुबानी 

बेमेतरा के सुदूर जटा गांव के मरीज के दिल की धड़कन खुद ब खुद बढ़ती-घटती रहती है। गांव का रास्ता ऐसा है कि मरीज बार-बार एसीआई नहीं आ सकता। उसके हार्ट में 3 साल पेसमेकर लगाया। पेसमेकर की बैटरी 8-10 साल चलती है। लेकिन इस मरीज के पेसमेकर की बैटरी 3 साल में ही डाउन हो गई, क्योंकि पेसमेकर को धड़कन ठीक रखने के लिए बहुत काम करना पड़ा। मरीज के साथ इन तीन वर्षों में 6 बार ऐसा हुआ कि अगर उसका हार्ट शुरू नहीं होता तो वह ब्रेन डेड हो सकता था। मरीज को लगातार आब्जर्व करना जरूरी था, इसलिए हमने तय किया कि हार्ट की धड़‌कन को काबू में रखने ऐसी डिवाइस लगाएं जिससे हर धड़कन का लेखा-जोखा एसीआई को मिल सके। ताकि मरीज को बार-बार एसीआई आने से भी मुक्ति मिले।

ऐसे काम करती है दिल में लगाई गई डिवाइस

डा. श्रीवास्तव की जुबानी… सीआटी-डी बिलकुल नई तकनीक है। यह नयी टेक्नोलॉजी अभी आई है। दिल के भीतर फिट यह डिवाइस मोबाइल से कनेक्ट हो जाता है। कई बार शॉक देने की जरूरत नहीं पड़ती। इससे मरीज के फोन पर तीन तरह के अलर्ट आते हैं। ग्रीन सिग्नल यानी सब ठीक, ऑरेंज सिग्नल यानी थोड़ी चिंता और रेड सिग्नल यानी धड़कन तेज है। इन सिग्नल्स से समय पर हार्ट की रिमोट मॉनिटरिंग आसान हो जाती है, जिससे इलाज आसान होता है। अच्छी बात ये है कि हम एसीआई से ही मरीज का इलाज कर सकते हैं।

दिल में डिवाइस इस तरह इंप्लांट की गई

असिस्टेंट प्रोफेसर कार्डियोलॉजी डॉ. कुणाल ओस्तवाल के अनुसार… कंधे से नीचे लेफ्ट साइड में चीरा लगाकर तीन तार डाले। पहला तार राइट वेंट्रिकल में, दूसरा राइट एट्रियम में और तीसरा कोरोनरी साइनस में भेजा। तीनों तारों को पल्स जेनरेटर (बैटरी) से कनेक्ट किया। उसे कंधे के नीचे पॉकेट बनाकर इम्प्लांट कर दिया। ये डिवाइस दो काम करता है। पहला, हार्ट की गति बढ़ाता है, शाक देता है यानी जान पर खतरा तुरंत कम कर देता है। यह भी कह सकते हैं कि यह विशेष पेसमेकर है, जो कमजोर और दर्दरहित उत्तेजना थैरेपी या बिजली के झटकों/विद्युत आवेगों से वेंट्रिकुलर टैचीकार्डिया और फाइब्रिलेशन जैसी जानलेवा स्थितियों को रोक देता है।

सर्जरी करने वाली टीम में ये डाक्टर शामिल

कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. (प्रो.) स्मित श्रीवास्तव के साथ असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. ओस्तवाल और डॉ. शिवकुमार शर्मा। जूनियर डॉक्टरों में डॉ. प्रर्तीक गुप्ता, डॉ. आयुष, डॉ. प्रीति और डॉ. सौम्या। इनके अलावा महेंद्र और नवीन भी शामिल।

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