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राजधानी में फैल सकता था रेडियोएक्टिव खतरा… तीन लालची बेवकूफों ने एम्स में किया था ऐसा कारनामा

राजधानी के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान अस्पताल के एटामिक डिपार्टमेंट में चोरों ने ऐसा कारनामा किया कि राजधानी को रेडियोएक्टिव वेस्ट के जरिए विकिरण के खतरे में डाल दिया। दरअसल एम्स के डाक्टर कैंसर के इलाज से जुड़े एटामिक डिपार्टमेंट में गए, तो वहां से एक लेड डस्टबिन गायब मिली। इसे गायब देखकर डाक्टर बेचैन हो गए। एम्स प्रबंधन को सूचना मिली तो उसने तुरंत पुलिस को खबर दी। रेडियोएक्टिव वेस्ट के लिए इस्तेमाल की जाने वाली डस्टबिन में ऐसा कचरा था, जिसे कहीं भी फेंक दिया जाता, तो वहां विकिरण फैलने का खतरा हो जाता। यह जानकर रायपुर पुलिस भी बेचैन हुई और तुरंत जांच-पड़ताल शुरू हो गई। तीन घंटे में खुलासा हो गया कि इस लेड डस्टबिन को अस्पताल के ही तीन सफाईकर्मी ले गए हैं, जो आउटसोर्सिंग वाले थे। एएसपी दौलतराम पोर्ते ने बताया कि तीन घंटे के भीतर एक-एक कर तीनों सफाईकर्मी पकड़ लिए गए। पूछताछ में बताया कि डस्टबिन उनके पास है और कचरा कहीं फेंका नहीं है। इसके बाद पुलिस ने एम्स के एटामिक डिपार्टमेंट को डस्टबिन बरामद होने की सूचना दी। वहां के एक्सपर्ट कर्मचारी विकिरण से सुरक्षित करनेवाले साजोसामान के साथ पहुंचे और डस्टबिन को साथ ले गए।

क्यों खतरनाक हो सकता था डस्टबिन

एम्स के डाक्टरों के मुताबिक यह आम डस्टबिन नहीं, बल्कि विकिरण को रोकने वाले पदार्थों से बनता है। एक डस्टबिन करीब 6 लाख रुपए का है। इसका काम कैंसर में रेडिएशन में इस्तेमाल होने वाले वेस्ट को इस तरह रखना है, ताकि रेडिएशन बाहर नहीं निकल सके, भीतर ही नष्ट हो जाए। गनीमत थी कि सफाईकर्मी तुरंत ही पकड़ लिए गए, इसलिए लेड डस्टबिन को बेच नहीं पाए या उसका वेस्ट फेंकने का मौका नहीं मिला। अगर ऐसा होता तो रेडियोएक्टिव वेस्ट जहां भी डाला जाता, वहां आसपास के लोगों को प्रभावित कर सकता था। गिरफ्तार सफाईकर्मियों के नाम दिनेश बंजारे, भूपेंद्र पटेल और राजकुमार साहू हैं। तीनों को पुलिस ने चोरी में बुक कर जेल भिजवाया है।

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