Iran-Israel War: खाड़ी का कच्चा तेल यानी ब्रेंट क्रूड तुरंत 4 फीसदी महंगा… इसका पेट्रोल-डीजल और पेंट-टायर इंडस्ट्री पर ऐसे होगा असर

ईरान ने मंगलवार को देर रात इजरायल पर पहला और खुला मिसाइल अटैक कर खाड़ी में एक बार फिर महायुद्ध की आशंका बढ़ा दी है। भारत के दोनों ही देशों से अच्छे रिश्ते हैं। लेकिन जब भी खाड़ी में युद्ध की हलचल होती है, एक बात जो सबको इफेक्ट करती है, वह है पेट्रोल-डीजल की कीमतें। भारत में तेल और इससे जुड़ी सारी इंडस्ट्रीज के विशेषज्ञों ने युद्ध की आशंका के बीच तेल की कीमतों पर नजरें जमा ली हैं। नई दिल्ली और मुंबई में इकानामिस्ट ने ताजा परिस्थितियों का अध्ययन शुरू किया है। उनके हवाले से मीडिया में जो रिपोर्ट्स आ रही हैं, उन सबका इशारा एक ही तरफ है कि अगर ईरान-इजरायल का मामला बढ़ता है, तो पेट्रोल-डीजल ही नहीं बल्कि इनसे जुड़ी इंडस्ट्रीज पर असर पड़ सकता है, जिससे इनके कीमतें प्रभावित हो सकती हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक मंगलवार को हुए अटैक के 24 घंटे के भीतर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 4 फीसदी बढ़ गई है।
विश्व में अभी दो तरह का कच्चा तेल उपलब्ध है। खाड़ी और उससे लगे देशों के कच्चे तेल को ब्रेंट क्रूड और अमेरिका के कच्चे तेल को डब्लूटीआई कहा जाता है। दोनों ही तरह के कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने लगी हैं। खाड़ी का कच्चा तेल यानी ब्रेंड क्रूड आयल के दाम 74 डालर प्रति बैरल पर पहुंच गए हैं। इकानामिस्ट का मानना है कि कच्चे तेल में इस तेजी की वजह से फिलहाल हमारी आयल एक्सप्लोरेशन कंपनीज यानी ओएनजीसी और आयल इंडिया के शेयरों में तेजी का माहौल बन गया है। लेकिन पेंट और क्रूड कंपनियों के शेयरों पर इसका असर रिवर्स रहेगा। पेंट और टायर इंडस्ट्री पूरी तरह क्रूड आयल पर निर्भर करती है। जैसे-जैसे क्रूड आयल के रेट बढ़ेंगे, पेंट और टायर निर्माताओं की इनपुट कास्ट बढ़ सकती है। जानकारों का कहना है कि अगर ईरान और इजरायल के बीच युद्ध बढ़ता है और व्यापक होता है, तो भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में क्रूड आयल की वजह से पेट्रोल-डीजल तथा कच्चे तेल से जुड़े पेंट, टायर तथा संबंधित प्रोडक्ट्स के रेट भी बढ़ सकते हैं।