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जंगलों में करंट और शिकारियों का कहर… कोरबा में तालाब में हाथी का शव उफना… बलरामपुर में हाथी के दो दांत, तेंदुए की दो, भालू की एक खाल मिली

छत्तीसगढ़ में हाथियों की करंट से मौत का सिलसिला जारी है। कोरबा के गीताकुंवारी गांव के पास तालाब में शनिवार को सुबह बड़े साइज के हाथी का शव उफना आसपास के सैकड़ों ग्रामीण इकट्ठा हो गए। अनुमान है कि हाथी की मौत हफ्ता-दस दिन पहले हुई होगी। वन अफसरों को संदेह है कि किसी ने करंट फैलाया होगा, जिसकी चपेट में हाथी आ गया। वैसे भी पिछले तीन माह में तकरीबन आधा दर्जन हाथियों की करंट से मौत हो चुकी है। इस हाथी की मौत की असल वजह पोस्टमार्टम के बाद पता चलेगी। मिली जानकारी के मुताबिक मारे गए हाथी का अनुमानित उम्र 15 साल रही होगी। बता दें कि इससे पहले बलरामपुर में एक हाथी का शव मिला था, जिसकी करंट से मौत की पुष्टि हुई। 7 दिसंबर को गरियाबंद के उदंती-सीतानदी रिजर्व में हाथी के शावक का शव मिला था, जिसके बारे में यह बात आई है कि उसे पोटाश बम से उड़ा दिया गया।

करंट से तो वन्यप्राणी मारे ही जा रहे हैं, वन विभाग घने जंगलों में सक्रिय शिकारियों पर भी पूरी तरह काबू नहीं पा सका है। शनिवार को ही बलरामपुर के वाड्रफनगर में वन विभाग की विजिलेंस टीमें ने दो शिकारियों को पुख्ता सूचना पर पकड़ा। इनके पास से तेंदुए की फुल साइज की दो खालें, एक बड़े भालू की खाल और हाथी के दो दांत मिल गए हैं। शिकारियों से पूछताछ चल रही है। अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि इन वन्यप्राणियों को खाल या दांत के लिए छत्तीसगढ़ में मारा गया, या फिर इसे बाहर से यहां लाकर बेचने की कोशिश की जा रही थी। हैरतअंगेज यह भी है कि सख्ती के दावों के बावजूद छत्तीसगढ़ में ऐसे कौन से लोग सक्रिय हैं, जो वन्यप्राणियों की खालें और हाथी के दांत खरीद रहे हैं। वन विभाग ने कभी भी शिकारियों के फारवर्ड-बैकवर्ड लिंक को नहीं खंगाला है, ताकि असल धंधेबाज सामने आ सकें।

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