छत्तीसगढ़ में किसी सीट पर 384 प्रत्याशी उतार नहीं पाएगी कांग्रेस… इसके बड़े व्यावहारिक कारण
इतने उम्मीदवारों के लिए बैलेट पेपर भी 15-20 पेज की बुक जैसा- जानकार
दिग्गज कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम भूपेश बघेल समेत समूची कांग्रेस को ईवीएम से चुनाव पर भरोसा नहीं है। पार्टी ईवीएम की निष्पक्षता पर लगातार सवाल उठा रही है। कांग्रेस में उच्चस्तर से चुनाव आयोग के एक आदेश का हवाला देते हुए एक फार्मूला दिया है कि अगर किसी सीट पर 384 प्रत्याशी होंगे तो वहां ईवीएम नहीं बल्कि बैलेट पेपर से मतदान होगा, इसलिए इतने प्रत्याशी उतारने की कोशिश की जाए। लेकिन पार्टी स्तर पर यह फार्मूला बस्तर में ही लागू नहीं हो पाया। वहां नामांकन बंद हो गया है और केवल 11 उम्मीदवार मैदान में हैं। अब, संगठन के लोग ही दबी जुबान में मान रहे हैं कि छत्तीसगढ़ की किसी भी लोकसभा सीट पर कांग्रेस की ओर से इतने प्रत्याशी उतार पाना संभव नहीं है। हालांकि चुनाव अफसरों का मानना है कि इतने प्रत्याशी हो भी गए, तो इतना बड़ा बैलेट पेपर बनाना या फिर 20 बैलेट पेपर की बुकलेट बना पाना संभव नहीं है।
जमानत राशि जब्त होगी… हरेक के 25-25 हजार रुपए कौन देगा
यह अहम सवाल है क्योंकि अगर कोई अनारक्षित कैटेगरी का व्यक्ति लोकसभा क्षेत्र से नामांकन पत्र खरीदकर भरता है तो उसे 25 हजार रुपए (एससी-एसटी के लिए आधे यानी 12.5 हजार रुपए) जमा करवाने होंगे। यह राशि उम्मीदवार को देनी होगी। इसके अलावा, नामांकन फार्म में इतनी पेचीदगियां हैं कि इसे भरने और अपने हिसाब-किताब को ठीक-ठाक करने में ही 5 से 10 हजार रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं। इस तरह, खर्च बढ़कर 30-35 हजार रुपए पर पहुंच जाता है। जमानत जब्त होने की दशा में पूर्व में अदा किए गए 25 हजार रुपए जमानत राशि के रूप में राजसात हो जाएंगे। यह स्पष्ट ही है कि 384 में से एकाध को छोड़कर बाकी की जमानत जब्त ही होगी, यानी सब मिलाकर 30-35 हजार रुपए जेब से जाएंगे। कार्यकर्ताओं का कहना है कि पार्टी को यह स्पष्ट करना चाहिए कि यह रकम वे लगाएंगे, या थोड़ी-बहुत मदद पार्टी से मिलेगी।
इतने प्रत्याशी उतारने में एक सीट पर 1 करोड़ का अतिरिक्ति खर्चा
एक चर्चा और भी है। अगर इतने प्रत्याशी उतारने का खर्चा संगठन उठाता है, तो 25 हजार रुपए के हिसाब से ही लगभग 1 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च करने होंगे। चूंकि कांग्रेस ही नहीं बल्कि कोई भी दल उम्मीदवारी करने के लिए प्रत्याशी को खर्च नहीं देता, केवल प्रचार के लिए ही निर्धारित सीमा तक (95 लाख रुपए) की फंडिंग की जाती है, इसलिए यह स्पष्ट है कि पार्टी स्तर पर इतनी रकम नहीं लगाई जा सकती।
ऐसे समझें- 384 प्रत्याशी तो एक बूथ में 25 ईवीएम लगेंगी… इसलिए बैलेट से
कांग्रेस अगर 375 से ज्यादा प्रत्याशी उतारने की बात कह रही है, तो इसके पीछे बड़ा लाजिक और एनालिसिस है। दरअसल एक एवीएम में नोटा को मिलाकर 16 बटन रहते हैं, यानी 15 उम्मीदवारों को वोट दिया जा सकता है। उम्मीदवार बढ़े तो दूसरे मशीन लगती है। सीधा गणित है, 375 उम्मीदवार हुए तो एक बूथ में 25 से ज्यादा मशीनें लग जाएंगी। इसके अलावा, 4-5 रिजर्व भी रखनी होंगी। ऐसे में जिस लोकसभा सीट पर इतने उम्मीदवार होंगे, वहां लाखों मशीनों की जरूरत पड़ेगी, जो संभव नहीं है। इसलिए ऐसी सीटों पर बैलेट से मतदान होगा। हालांकि चुनाव करवा चुके कई अधिकारियों का कहना है कि इतने प्रत्याशी हुए तो चुनाव बैलेट से भी मुश्किल है। क्योंकि एक बैलेट शीट पर 20-22 से ज्यादा उम्मीदवार नहीं अ सकते। ऐसे में या तो बैलेट शीट बड़ी करनी होगी, या 20 उम्मीदवारों के हिसाब से तकरीबन 20 पेज का मतपत्र बनाना होगा। यह अब तक कभी नहीं हुअ है और संभव भी नहीं लगता।
384 उम्मीदवारों के समर्थन में कांग्रेस का भाजपा पर वार
ऐसे में, यह स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ में भी किसी सीट पर 384 उम्मीदवार नहीं उतरने जा रहे हैं। हालांकि कांग्रेस के अधिकृत प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर का मानना है कि ऐसी अफवाहें भाजपा के लोग फैला रहे हैं। वे अकेले चुनाव लड़ना चाहते हैं, इसलिए 384 उम्मीदवारों की बात से उनके पेट में दर्द उठ गया है। दूसरी ओर, भाजपा नेताओं का कहना है कि इस मामले से पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है। 384 उम्मीदवारों का फार्मूला कांग्रेसी ही दे रहे हैं, इसलिए वही जानें। भाजपा को इसमें घसीटने की जरूरत नहीं है।