दुर्ग की 9 में 7 विस सीटें भाजपा की… और भूपेश समेत 3 बड़े कांग्रेस नेता और टीमें चुनाव लड़ने बाहर
विजय बघेल 3 लाख 92 हजार वोटों से जीते थे, भाजपा से मैदान में
विधानसभा चुनाव के नतीजों का लोकसभा चुनाव से कोई ताल्लुक नहीं होता, लेकिन छत्तीसगढ़ में तीन माह पहले ही विस चुनाव हुए, इसलिए इसके आंकड़ों का इस्तेमाल चौक-चौराहों से मंत्रालय के गलियारों तक की चर्चा पर होता ही है। तो लीजिए दुर्ग संसदीय क्षेत्र से जुड़ी इसी तरह के कुछ तथ्य… 9 विधानसभा क्षेत्रों वाली इस बड़ी और प्रतिष्ठित सीट की 7 विधानसभा सीटों में हाल में भाजपा के लोग जीतकर विधायक बने हैं। कांग्रेस के पास सिर्फ दो सीटें हैं। जहां तक विधानसभा में बढ़त का सवाल है, भाजपा सब मिलाकर आज की तारीख में 1 लाख 39 हजार वोटों से आगे है। तीसरा तथ्य… पूर्व सीएम भूपेश बघेल के भतीजे विजय बघेल ने भाजपा से पिछला चुनाव 3.92 लाख वोटों से जीता था। इस बार भी वे मैदान में हैं। चौथा तथ्य… भाजपा इस बार भी मोदी के भरोसे पर सवार है। पांचवां और अंतिम सत्य… कांग्रेस उम्मीदवार को दुर्ग में जो तीन नेता ताकत दे सकते थे, जैसे खुद पूर्व सीएम भूपेश, पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू और विधायक देवेंद्र यादव, तीनों ही अलग-अलग सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए दुर्ग से जा चुके हैं। जाहिर है, कम से कम पाटन, भिलाई शहर और दुर्ग ग्रामीण के खास कार्यकर्ता तो इन तीनों नेताओं के साथ क्रमशः राजनांदगांव, बिलासपुर और महासमुंद संसदीय क्षेत्रों में कैंप कर चुके होंगे। जो बचे हैं, उन्हीं के साथ कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र साहू चुनाव लड़ रहे हैं और बाहर बैठे कांग्रेस नेता दावा कर रहे हैं- दुर्ग में कांग्रेस का हर कार्यकर्ता सवा-सवा लाख के बराबर है।
भाजपा से भी वरिष्ठ नेत्री सरोज पांडेय चुनाव लड़ने के लिए कोरबा में हैं। पर जो कहानी आंकड़े कह रहे हैं, उनके मुताबिक अभी ज्यादा जरूरतमंद तो कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र साहू ही हैं। हालांकि उनके साथ बड़ा फैक्टर साहू समाज का है। इसी बलबूते पर 2014 में ताम्रध्वज ने सरोज को चुनाव हरा दिया था। क्या साहू फैक्टर राजेंद्र के पक्ष में होगा, इस सवाल का जवाब 4 जून को नतीजों से ही मिल पाएगा। एक बात और, यहां मोदी लहर में भी बसपा ने करीब 1.44 फीसदी वोट हासिल किए थे। यानी कुछ-कुछ पैच में उनकी मौजूदगी भी बनी हुई है।
चंदूलाल चंद्राकर और ताराचंद साहू 4-4 बार यहीं से जीते
1996 से 2004 तक भाजपा के ताराचंद साहू लगातार 4 बार जीते। उनसे पहले इस सीट से चार बार जीतने वालों में कांग्रेस के चंदूलाल चंद्राकर ही थे। इसके बाद भाजपा से सरोज पांडेय 2009 में जीतीं लेकिन अगले यानी 2014 के चुनाव में कांग्रेस का ताम्रध्वज साहू से हार गईं। भाजपा ने 2019 में सरोज की जगह विजय बघेल को टिकट दिया। मोदी लहर पर सवार विजय बघेल ने तकरीबन 3 लाख 92 हजार वोटों से कांग्रेस की प्रतिमा चंद्राकर को शिकस्त दी। वे इस बार भी भाजपा की तरफ से मैदान में हैं।
इसी क्षेत्र की साजा सीट पर भाजपा ने किया था बड़ा प्रयोग
कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री रविंद्र चौबे कम मार्जिन से ही सही, चार माह पहले हुअ विधानसभा चुनाव भाजपा के ईश्वर साहू से हार गए थे। भाजपा ने ईश्वर साहू के रूप में सबसे बड़ा पालिटिकल एक्सपेरिमेंट दुर्ग लोकसभा क्षेत्र की साजा सीट से ही किया था, जो सफल भी रहा। पूर्व मंत्री ताम्रध्वज और पूर्व मंत्री रुद्र गुरु भी इसी सीट की विधानसभाओं से चुनाव हारे। कांग्रेस से भूपेश बघेल ही यहां से जीत पाए थे। भाजपा को भरोसा है कि साजा में जो प्रयोग हुअ था, उसका पूरे लोकसभा क्षेत्र में असर अब भी होगा। जबकि कांग्रेस का दावा है कि भाजपा की नीतियों से अब लोगों का भरोसा उठ रहा है।
विधानसभा चुनाव के नतीजे
पाटन – 19723 कांग्रेस
दुर्ग ग्रामीण – 16642 भाजपा
दुर्ग शहर – 48697 भाजपा
भिलाई नगर – 1264 कांग्रेस
वैशाली नगर – 40074 भाजपा
अहिवारा (सु) – 25263 भाजपा
साजा – 5196 भाजपा
बेमेतरा – 9134 भाजपा
नवागढ़ (सु) – 15177 भाजपा
विधानसभा चुनाव में बढ़त
भाजपा (सात सीटें) – 160183
कांग्रेस (दो सीटें) – 20987
विस चुनाव की कुल लीड – 139196 भाजपा