निगम महापौर, नगरपालिका-नगर पंचायत अध्यक्ष के उम्मीदवारों पर खर्च पर निगाहें… नाम वापसी से मतदान के बीच दो बार चेक होगा हिसाब… पार्षदों के खर्च जांचने की अभी व्यवस्था नहीं

नगर निगम के महापौर, नगरपालिकाओं और नगर पंचायतों के अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों को चुनावी खर्च पर काबू रखना होगा। चुनाव के दौरान इन उम्मीदवारों के खर्च के बारे में विस्तृत नोट जारी होना है, लेकिन निर्वाचन आयोग ने उनके हिसाब-किताब के इंतजाम कर दिए हैं। आयोग के मुताबिक कलेक्टर इन उम्मीदवारों का खर्च जांच के लिए एक पर्यवेक्षक (व्यय संपरीक्षक) नियुक्त करेंगे। ये पर्यवेक्षक सभी उम्मीदवारों से चुनावी खर्चे का हिसाब पूछने के लिए नाम वापसी के अंतिम दिन से मतदान के एक दिन पहले तक दो बार खर्च का रजिस्टर चेक कर सकते हैं। अगर पर्यवेक्षक दो बार नहीं बुलाते हैं, तो भी हर उम्मीदवार को इस अवधि के दौरान कम से कम एक बार अपने चुनावी खर्च की जांच करवानी होगी।
एक और जरूरी बात, लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए जिस तरह आदर्श आचार संहिता के लागू होने पर पिस्तौल, बंदूकों समेत हथियारों के लाइसेंस निलंबित किए जाते हैं, उसी तरह इस आचार संहिता में भी लाइसेंस नतीजों तक निलंबित कर दिए गए हैं। अर्थात जिनके पास भी लाइसेंस हथियार हैं, उन्हें तत्काल संबंधित थानों में अपने हथियार जमा करवाने होंगे। ये हथियार आदर्श आचार संहिता खत्म होने के बाद यानी 28 फरवरी के बाद ही लौटाए जा सकेंगे। इसके लिए पुलिस जल्दी ही लाइसेंसियों के लिए निर्देश जारी करेगी कि थानों में हथियार जमा करवा दिए जाएं। थानों को इसके इंतजाम करने के लिए कह दिया गया है।