शासन

बृजमोहन ने 24 घंटे में चार विभागों की बैठक ले डाली…क्या ये मंत्रीपद से विदाई का इशारा

35 साल से रायपुर के विधायक, 8 बार बड़े अंतर से विधानसभा चुनावों में विजेता, मध्यप्रदेश के जमाने से हर भाजपा सरकार में मंत्री और अब पौने 6 लाख वोटों से सांसद चुनाव जीतने वाले छत्तीसगढ़ के कद्दावर भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल क्या बहुत जल्दी रायपुर-प्रदेश की राजनीति से विदाई लेकर दिल्ली की सियासत का हिस्सा बनने जा रहे हैं? बृजमोहन ने 17 जून को छत्तीसगढ़ विधानसभा से इस्तीफा दिया है। यह संकेत भी मिले कि वे 6 माह तक प्रदेश में मंत्री रह सकते हैं। लेकिन संसदीय कानून के जानकारों का कहना है कि विधानसभा की सदस्यता मंत्रीपद की शपथ का मूल है। अगर वहां इस्तीफा दिया, तो मंत्रीपद भी छोड़ना होगा। सांसदी इसलिए नहीं छोड़ी जा सकती, क्योंकि अभी केंद्र में भाजपा का बहुमत नहीं है। ऐसे में पार्टी के लिए संसद की एक-एक सीट का महत्व है। बृजमोहन मंत्री रहेंगे या नहीं, इस पर पूरी सरकार और पार्टी चुप है। जहां तक विदाई का सवाल है, जानकार जरूर मंत्री पद से इस्तीफे के लाजिमी बता रहे हैं, लेकिन एक बड़ा तथ्य यह भी है कि खुद बृजमोहन संसदीय कार्य मंत्री रह चुके हैं। उनके संसदीय ज्ञान को चुनौती नहीं दी जा सकती।

रायपुर में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय कैबिनेट की बैठक शुरू होने वाली है। बैठक में बृजमोहन अग्रवाल भी बतौर मंत्री शामिल होंगे।  लेकिन इससे पहले, मंगलवार दोपहर से बुधवार को दोपहर तक बृजमोहन शिक्षा विभाग, उच्च शिक्षा विभाग, पर्यटन तथा संस्कृति विभागों की बैठकें ले चुके हैं और कामकाज की समीक्षा कर रहे हैं। केवल वही अकेले मंत्री हैं, जिन्होंने पिछले 24 घंटे में अपने लगभग हर विभाग की बैठक ली है और समीक्षा कर चुके हैं। इतनी ताबड़तोड़ बैठकों की वजह से ही इन अटकलों को राजधानी में बल मिल रहा है कि आज-कल में बृजमोहन मंत्रीपद को लेकर कोई अहम फैसला लेने वाले हैं। हालांकि इन अटकलों का भी तोड़ है। उनके नजदीकी बताते हैं कि बृजमोहन की कार्यशैली ऐसी है कि वे 24 घंटे में चार तो क्या, ज्यादा बैठकें ले सकते हैं। लिहाजा, इन ताबड़तोड़ बैठकों को काम के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण से जोड़ना चाहिए, न कि विदाई की तैयारी से। द स्तंभ ने उनके करीबी लोगों से संपर्क किया। उनका कहना है कि बृजमोहन अग्रवाल की ओर से अब तक इस तरह के कोई संकेत नहीं मिले हैं कि वे विदाई की तैयारी कर रहे हैं। इसके बाद सरकार में उच्चस्तर पर खंगालने की कोशिश की गई कि क्या बृजमोहन अग्रवाल ने ऐसा कोई संकेत दिया है, या क्या ऊपर से ऐसी कोई सूचना आई है। वहां भी किसी तरह की पुष्टि या खंडन नहीं किया गया। अब एक ही बात बचती है, क्या साय कैबिनेट की 3 बजे से शुरू होने वाली बैठक में इस एंगल पर कोई चर्चा छिड़ सकती है। फिलहाल सारी बातें कयास और अटकलों पर टिकी हैं। हो सकता है, शाम 5-6 बजे तक कोई बात निकलकर आए। या शायद नहीं भी आए, क्योंकि बृजमोहन ने 17 तारीख को इस्तीफा दिया था, उससे दो घंटे पहले तक मीडिया से लेकर उच्चस्तर तक यही चर्चा थी कि वे विधानसभा छोड़ेंगे या नहीं। यानी, किसी को कोई भनक नहीं थी।

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