शासन

ये कैसी जांच…शुरू भी नहीं हुई और तारीख 15 दिन बढ़ गई…क्योंकि छुट्टियां बहुत हैं

गुढ़ियारी आग हादसाः जांच रिपोर्ट 13 को आनी थी, अब शायद 28 को आएगी

गुढ़ियारी बिजली दफ्तर की जिस आग से पूरे रायपुर पर तकरीबन 24 घंटे काले धुएं का असर रहा… लगभग एक हजार (पहले ज्यादा बताए थे, अब कम होने लगे) पुराने ट्रांसफार्मरों के जलने से बिजली महकमे को करीब तीन से पांच सौ करोड़ रुपए का नुकसान हुआ… जहां सीएम से लेकर सारे अफसर मौके पर पहुंचे और जांच का तुरंत ऐलान कर दिया गया… उसी जांच पर अब सरकारी सिस्टम हावी होने लगा है। सीएम के निर्देश के बाद बिजली महकमे के एक आला अफसर के दस्तखत से 6 अप्रैल को आनन-फानन में जांच का आदेश निकला। इसमें विभाग के 6 जानकार अफसरों की कमेटी बना दी गई। कहा गया कि जांच 7 दिन में पूरी करनी है, यानी 13 अप्रैल को रिपोर्ट सौंपी जानी है। जांच समिति ने 7 अप्रैल से काम शुरू किया और दो-तीन दिन में ही कंपनी को लिखा कि 7 दिन में कुछ नहीं हो पाएगा। इसलिए जांच की अवधि 15 दिन बढ़ाई जाए। इस तरह, यह रिपोर्ट अब 28 अप्रैल को सौंपी जाएगी। वह भी तब, जबकि जांच पूरी कर ली जाए।

जांच समिति ने 15 दिन का अतिरिक्त समय क्यों मांगा, इसके सरकारी स्टाइल में कई कारण बताए गए हैं। जैसे, सभी ट्रांसफार्मरों का रिकार्ड एक जगह नहीं है, सर्वर में भी समस्या है, कुछ रिकार्ड आफलाइन मंगवाने होंगे, बहुत सारे लोगों का बयान लेना है वगैरह। लेकिन बिजली महकमे की हवा में जो बातें फैली हैं, उनके मुताबिक जांच शुरू होते ही छुट्टियां शुरू हो गईं। गुरुवार को छुट्टी थी, फ्राइडे को एक दिन दफ्तर लगा, फिर सैटरडे-सनडे आ गया। अगले हफ्ते भी छुट्टियां हैं। इसलिए जांच के लायक चीजें उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। ऐसे में जांच में वक्त लगेगा। हालांकि जानकारों का कहना है कि मामला ज्यादा गंभीर रहे या कम, सरकारी छुट्टियों से सरकार का काम तो प्रभावित होता है।

जांच समिति के सदस्य हैं बिजली महकमे के कर्ताधर्ता

हादसे को सीएम विष्णुदेव साय, बिजली कंपनियों के चेयरमैन पी दयानंद समेत पूरी सरकार ने गंभीरता से लिया था, इसलिए जांच समिति में अधिकांश ऐसे अफसरों को रखा गया, जिन्हें बिजली महकमे की अलग-अलग विंग का कर्ताधर्ता कह सकते हैं। इनमें भीम सिंह कंवर और संदीप वर्मा कार्यपालक निदेशक (ईडी) लेवल के अफसर हैं। यशवंत शिलेदार और डीडी चौधरी बड़े इंजीनियर हैं। गोपाल मूर्ति प्रमुख वित्तीय अधिकारी तथा श्रीनिवास राव मुख्य सुरक्षा अधिकारी हैं। महकमे में ही सवाल उठ रहे हैं कि जिस वक्त 7 दिन में जांच रिपोर्ट की घोषणा की गई, तब अफसरों ने आपस में सलाह-मशविरा नहीं किया था कि जांच के लिए इतने दिन पर्याप्त हैं या नहीं। यह बात भी चल रही है कि ट्रांसफार्मरों की राख ठंडी हो जाने तक के लिए ही 7 दिन का वक्त दिया गया था। तब मोटे तौर पर सहमति बन गई थी कि जरूरत पड़ी तो समय बढ़ा लेंगे।

जांच के पांच बिंदु… ज्यादातर के उत्तर का आम लोगों को भी अंदाजा

गुढ़ियारी आग हादसे में उच्चस्तरीय समिति को पांच बिंदुओं पर जांच करके रिपोर्ट देनी है, जिनमें पहला है आग लगने का कारण, दूसरा आग के लिए जिम्मेदार अफसर-कर्मचारी, तीसरा इस हादसे से कंपनी को आर्थिक और भौतिक क्षति, चौथा भंडारगृह को चलाने की क्या वैकल्पिक व्यवस्था हो सकती है और पांचवां, भविष्य में ऐसे हादसों की रोकथाम के क्या उपाय कर सकते हैं। आग हादसे के बाद जिस तरह मीडिया की रिपोर्ट्स आईं, उन्हें लोगों ने पढ़ा और समझा है, उन्हें ऐसा नहीं लगता कि जांच रिपोर्ट इससे उलट होगी। लोगों को लगता है जैसेः-

  1. आग लगने के कारण… कई एजेंसियों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट आ गईं कि शार्ट सर्किट से आग लगी थी।
  2. कौन अफसर दोषी… शार्ट सर्किट में कौन दोषी हो सकता है। बुझाने में देरी पर छोटे कर्मी फंस सकते हैं।
  3. हादसे से नुकसान… अलग-अलग फिगर हैं, तीन सौ से पांच सौ करोड़ तक। इसमें भी ज्यादा अंतर नहीं होगा।
  4. क्या वैकल्पिक इंतजाम… इसमें जांच की क्या जरूरत, हादसे पर वैकल्पिक इंतजाम करना तो ड्यूटी का अंग।
  5. क्या उपाय करेंगे… यह भी पूरी तरह थ्योरीटिकल मामला है। आग से सेफ्टी के उपायों से गूगल भरा पड़ा है।
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