आम चुनाव

छत्तीसगढ़ में नतीजे फिलहाल एक्जिट पोल के अनुरूप, लेकिन ओवरआल भरोसा ही संकट में

सवाल इसलिए क्योंकि 70-75 फीसदी एक्यूरेसी को अप टू द मार्क नहीं मान सकते

देशभर में जिस तरह से चुनावी नतीजे आ रहे हैं, उनसे एक्जिट पोल और इसे कंडक्ट करनेवाली एजेंसियों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए हैं। वजह ये है कि शाम 4 बजे तक जो स्थिति है, उनमें ज्यादातर एक्जिट पोल का एक्यूरेसी रेट 75 प्रतिशत भी नहीं बैठा है, जबकि पिछले चुनावों में यह 85 से 95 प्रतिशत तक था। इस बार ज्यादातर एजेंसियों ने एक्जिट पोल में एनडीए के लिए 400 पार का आंकड़ा दिया था, लेकिन अभी तक एनडीए इस आंकड़े से सौ सीटें पीछे है। हालांकि छत्तीसगढ़ में एक्जिट पोल का 10-1 का अनुमान अब तक सही नजर आ रहा है। प्रैक्टिकली अभी कांग्रेस केवल कोरबा में कम मार्जिन से आगे है। रायपुर और दुर्ग सीटों पर तो भाजपा के उम्मीदवार क्रमशः 3 लाख और 2 लाख के अंतर से आगे चल रहे हैं।

जिन एजेंसियों के एक्जिट पोल के रिजल्ट मंगलवार को चर्चा में हैं, उनमें इंडिया टुडे-माई एक्सिस इंडिया, इंडिया टीवी-सीएनएक्स, न्यूज-24 टुडे, चाणक्या और सी-वोटर वगैरह हैं। इन्होंने जून की पहली तारीख को ही अनुमान घोषित किया था कि एनडीए को 400 पार और भाजपा को 365-370 सीटें मिलने जा रही हैं। शाम 4 बजे तक जो रुझान नजर आ रहे हैं, उनके मुताबिक एनडीए की गिनती 300 तथा भाजपा की गिनती 240 के आसपास ही हैं। जिस दिन एक्जिट पोल जारी किए गए थे, कांग्रेस समेत देशभर की विपक्षी पार्टियों ने इसे फर्जी करार दिया था। कांग्रेस ने तो खुद को एक्जिट पोल की डिबेट से ही अलग कर लिया था। लेकिन आम लोग एक्जिट पोल के नतीजों को पूरी तरह खारिज नहीं कर रहे थे। भरोसा ऐसा भी था कि बहुत सारे लोग एक्जिट पोल खारिज करने की प्रवृत्ति को हताशा करार देने लगे थे। इसकी एकमात्र वजह यही थी कि जो एजेंसियां और मीडिया हाउस एक्जिट पोल कंडक्ट करते हैं, दशकों से उनकी विश्वसनीयता रही है। संकट इसी भरोसे पर आता दिख रहा है। ये कहकर बचा जा सकता है कि कभी-कभार चूक हो जाती है। लेकिन इस बार तकरीबन हर एजेंसी से एक जैसी चूक हुई है, इसलिए यह भी साबित करना पड़ सकता है कि यह चूक सुनियोजित नहीं थी। एक्जिट पोल करनेवाली एजेंसियों को यह साबित करना होगा कि देश के आम वोटर ने महसूस ही नहीं होने दिया कि वे क्या करने जा रहे हैं, इसलिए चूक हुई।

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