सबसे बड़ा सरेंडर… गैंगस्टर्स के हमले से चर्चा में आए PRA कंस्ट्रक्शन से 37 करोड़ रुपए का सरेंडर… खर्चों में झोलझाल, एडवांस टैक्स देना होगा

राजधानी रायपुर के बड़े ठेकेदारों प्रहलाद राय अग्रवाल और बजरंगलाल अग्रवाल की कंपनी पीआरए कंस्ट्रक्शन पर तकरीबन 30 घंटे तक चले सर्वे के बाद आयकर विभाग को बड़ी कामयाबी मिली है। आयकर विभाग के सूत्रों के मुताबिक पीआरए कंस्ट्रक्शन का बुक्स में हिसाब ठीक निकला, लेकिन अनावश्यक खर्चे इतने ज्यादा थे कि इनसे संदेह पैदा हो गया। इस आधार पर फर्म ने आयकर विभाग के सामने 37 करोड़ रुपए सरेंडर किए हैं। पिछले एक साल में आयकर विभाग को छापों में इतनी बड़ी कामयाबी नहीं मिली, जितनी पीआरए कंस्ट्रक्शन में हुए सर्वे में मिली है। बता दें कि यह ठेकेदारी फर्म करीब चार माह पहले झारखंड के खूंखार गैंगस्टर अमन साव के गुर्गों की तरफ से रिंग रोड स्थित दफ्तर पर की गई फायरिंग के बाद चर्चा में आई थी।
आयकर विभाग के सूत्रों के अनुसार पीआरए कंस्ट्रक्शन के झारखंड और बिहार में सात बड़े साइट चल रहे हैं। फर्म रेलवे तथा अमृत मिशन के साथ-साथ सड़क-इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण से जुड़े बड़े काम कर रही है और ठेके सैकड़ों करोड़ रुपए के हैं। कंपनी का काम झारखंड में भी चल रहा है। इसी वजह से गैंगस्टर अमन साव की एंट्री हुई और रंगदारी वसूलने के लिए लोकल स्तर पर धमकाने के बाद उसने अपने शूटर रायपुर भिजवाकर फर्म के संचालकों पर दबाव बनाने के लिए फायरिंग करवा दी थी। बहरहाल, आयकर सूत्रों के अनुसार पीआरए ग्रुप ने आयकर रिटर्न में जो जानकारियां दीं, बुक्स से उनका मिलान हो गया, लेकिन अनावश्यक खर्चे दिखाने में कंपनी फंसी है। ऐसे एक-दो उदाहरण भी सामने आए हैं, जिनका उल्लेख इस खबर में करना आवश्यक नहीं है। आयकर विभाग के असिस्टेंट डायरेक्टर राहुल मिश्रा के नेतृत्व में जिस टीम ने इस सर्वे को कंडक्ट किया, उसमें बहुत सारे अफसर बाहर से बुलवाए गए थे, जो खासकर बड़ी फर्मों के रिकार्ड की जांच में महारत रखते हैं। आयकर सूत्रों ने यह भी स्पष्ट किया कि रायपुर में सत्यम बालाजी ग्रुप पर हुए छापों से इस सर्वे का कोई संबंध नहीं है।