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नए ईएनसी भतपहरी को 2022 में इसी पद से हटाया था भूपेश सरकार ने… सड़कें खराब होने पर हुआ था एक्शन… वापस वही पद मिलने के पीछे क्या राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता ?

छत्तीसगढ़ के पीडब्लूडी महकमे में नए इंजीनियर इन चीफ (ईएनसी) की नियुक्ति राजनैतिक गलियारों में चर्चा का विषय है। सरकार ने केके पिपरी के रिटायर होने के बाद विजय भतपहरी को सीनियोरिटी की वजह से ईएनसी का प्रभार दिया है। वे विभाग के ओएसडी भी बने रहेंगे। मंत्रालय के गलियारों में ईएनसी भतपहरी की नियुक्ति के आदेश के साथ ही 17 सितंबर 2022 का मामला खुल गया है। तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार ने उस समय ईएनसी का पद संभाल रहे विजय भतपहरी को तत्काल प्रभाव से प्रशासनिक आधार पर हटा दिया था और मंत्रालय में विभाग के ओएसडी पद पर बिठा दिया था। उस समय तत्कालीन सीएम भूपेश रायगढ़ के दौरे से लौटे थे, जहां उन्हें सड़कों की खराब स्थिति की बड़े पैमाने पर शिकायतें मिली थीं। यही भतपहरी को तुरंत हटाने का कारण बनी थीं, हालांकि शासन की ओर से जारी आदेश में कहा गया था कि भतपहरी को प्रशासनिक कारणों से हटाया गया है।

भूपेश सरकार ने ईएनसी के पद पर केके पिपरी को बिठाया था। सालभर बाद चुनाव हुए और सरकार बदली, तब माना जा रहा है कि ईएनसी भी बदले जा सकते हैं। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। विभाग के लोगों का कहना है कि पिपरी भी राजनैतिक तौर पर प्रभावशाली थे, इसलिए भाजपा सरकार में भी पूरा एक साल चले और अपनी नौकरी पूरी करके रिटायर हुए। लेकिन रिटायरमेंट से दो माह पहले से मंत्रालय के गलियारों में चर्चा थी कि पिपरी को 31 जनवरी 2025 में रिटायर होने से पहले ही एक्सटेंशन मिल जाएगा और वे कम से कम एक साल और ईएनसी बने रहेंगे। एक्सटेंशन की यह कोशिश किस बिंदु पर धराशायी हुई, इसे लेकर भी चर्चाएं हैं, लेकिन पुष्टि किसी बात की नहीं है।

बहरहाल, पिपरी के रिटायर होने के अगले ही दिन ईएनसी की तौर पर विजय भतपहरी की ताजपोशी हो गई। इस मामले में अभी तक यही बात सामने आई है कि चूंकि दो साल पहले भूपेश सरकार ने भतपहरी को हटाया था, इसलिए मौजूदा भाजपा सरकार में उनकी इस पद पर वापसी लाजिमी थी। लेकिन एक मुद्दा अब भी अनछुआ और वह ये है कि भतपहरी को हटाने के साथ-साथ तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल ने तत्कालीन पीडब्लूडी सचिव आईएएस कोमल सिद्धार्थ परदेशी को सड़कों की स्थिति की जांच के आदेश दिए थे। यह स्पष्ट नहीं है कि तब सड़कों की यह जांच हुई थी या नहीं, क्योंकि ऐसी कोई रिपोर्ट शासन के पास नहीं है। इसके अलावा 2015 का एक मामला और उछला है। तब विधानसभा रोड नई-नई बनी थी और डामर उखड़ने लगा था। भतपहरी तब चीफ इंजीनियर थे और इस निर्माण का सुपरविजन उन्हीं के अंडर में था। उस मामले में शिकायतों के बाद ईओडब्लू ने पांच इंजीनियरों के खिलाफ केस दर्ज कर छापे भी मारे थे। बाद में यह मामला खत्म तो हो गया, लेकिन ईएनसी की नियुक्ति के बाद जो चर्चाएं छिड़ी हुई हैं, उनमें दस साल पुराना यह मुद्दा भी है।

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