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दूर के रिश्तेदार हैं एनआरआई, फिर भी इस आधार पर निजी कालेजों ने बेची MBBS सीट… कांग्रेस के डाक्टरों ने मचाया बवाल

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार ऐसी रिश्तेदारी में कोटा देना फ्राडः डा. गुप्ता

छत्तीसगढ़ के प्राइवेट मेडिकल कालेजों में अप्रवासी भारतीय (एनआरआई) कोटे के आरक्षण से एमबीबीएस में एडमिशन दिए जाने पर तकनीकी सवाल उठाते हुए कांग्रेस के चिकित्सा प्रकोष्ठ ने गंभीर आपत्ति जताते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना करार दिया है। कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डा. राकेश गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट और पंजाब हाईकोर्ट के आदेशों की कापी जारी करते हुए कहा कि दूर के रिश्ते जैसे चाचा, मामा, कजिन आदि के आधार पर एनआरआई कोटे से सीट आवंटित करने के अदालतों ने फ्राड करार दिया है, जबकि छत्तीसगढ़ के मेडिकल कालेजों में ऐसा हो रहा है। डा. गुप्ता ने कहा कि ऐसे आवंटन को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह का आरक्षण कोटा रिलीज करने से जिन छात्रों ने अच्छे नंबर हासिल किए हैं, उन्हें एमबीबीएस में दाखिला नहीं मिल पा रहा है, जो गलत है।

डा. गुप्ता ने दस्तावेज जारी करते हुए बताया कि पंजाब सरकार ने पूर्व में भाई-बहन की संतान, चाचा, चाचा की संतान, बुआ, बुआ की संतान के अलावा दादा-दादी और नाना-नानी के अप्रवासी होने को ही एनआरआई कोटे से आरक्षण का पात्र मानते हुए छात्रों को निजी मेडिकल कालेजों में सीट आवंटित कर दी थी। इसे सुप्रीम कोर्ट ने फ्राड कहकर नकार दिया, जिससे एनआरआई के प्रवेश के कोटे में दूर के रिश्ते के आधार पर आरक्षण के विस्तार पर रोक लग गई। उस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि रिश्तेदार की परिभाषा को व्यापक बनाने से संभावित दुरुपयोग का रास्ता खुलता है। इससे वास्तविक अप्रवासी भारतीयों के बच्चों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई कई नीति के तहत पात्र और योग्य उम्मीदवारों को ही मदद नहीं मिल पा रही है। डा. गुप्ता ने कुछ उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि निजी मेडिकल कालेजों में छत्तीसगढ़ शासन के 2018 के नियमों के अनुसार एनआरआई कोटे में प्रवेश दिया गया है, जिससे नीट परीक्षा में सफल छात्र सूची से बाहर हो रहे हैं। उन्होंने कोर्ट के आदेश के विपरीत हुए सभी दाखिले रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि अगर पात्र अप्रवासी बच्चे नहीं मिल रहे हों तो कोटे की बची सीटों को ओपन करके नीट में सफल छात्रों को आवंटित किया जाए।

 

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