चुनावों ने दिया नया शब्द- सांय सांय… इतना हाईप्रोफाइल कि सीएम-पूर्व सीएम की ही जुबान पर

- शब्द व्याख्या… नवाब फाजिल
जब-जब चुनाव आते हैं, राजनीति गर्म रहती है, तब-तब छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देश में एक न एक नया शब्द या वाक्य जरूर उभरता है जो राजनैतिक गलियारों से निकलकर हर किसी की जुबान पर आ जाता है। पिछले 10 साल में देश की जुबान पर ऐसे कुछ शब्द और वाक्य रहे, जिनका भले ही कोई अर्थ न हो पर इनसे राजनीति की दशा-दिशा तक बदल गई। पहले शब्द आया पप्पू, और इसके बाद चौकीदार…। इसके बाद एक और वाक्य निकला… फेकने में ब्रैटली से भी तेज…। इन शब्दों से एक वर्ग के चेहरे पर मुस्कुराहट उभरती है, तो दूसरे वर्ग भौंहें सिकोड़ लेता है। कोई विद्वान इनका अर्थ नहीं बता सकता। ऐसा ही एक शब्द आम चुनाव-2024 में छत्तीसगढ़ में भी फैला है। यह शब्द है- सांय सांय…। राजनैतिक प्लेटफार्म पर आने से पहले यह शब्द कभी-कभार पब्लिक की जुबान पर रहता था, लेकिन पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने मंच से उल्लेख कर इसे आम कर दिया। मोटे तौर पर इसका राजनीतिक आविष्कारक पूर्व सीएम भूपेश को ही मानिये। लेकिन और दिलचस्प यह है कि सीएम विष्णुदेव साय ने भी इसका इस्तेमाल कर जबर्दस्त जवाबी हमला कर दिया, और लगातार कर रहे हैं। इस शब्द की खास बात है इसका बेहद हाई-प्रोफाइल हो जाना। क्योंकि सांय-सांय का इस्तेमाल केवल दो लोग ही लगातार कर रहे हैं। एक, खुद सीएम साय और दूसरा, पूर्व सीएम बघेल।
सांय-सांय बेहद स्थानीय शब्द है। द स्तंभ ने विद्वानों से बात की तो उनका कहना है कि चाहे मानक हिंदी हो या छत्तीसगढ़ी, इस शब्द का डिक्शनरी लेवल पर कोई उल्लेख नहीं है। यह दरअसल मुहावरे की तरह इस्तेमाल होता है और केवल आम लोगों की जुबान पर ही है। सांय-सांय के आशय भी दो हैं। पहला, इसका इस्तेमाल तेज रफ्तार के लिए किया जाता है, जैसे… यह काम सांय-सांय निपटेगा… यानी बहुत तेजी से हो जाएगा। सांय-सांय का दूसरा आशय खौफनाक सन्नाटे से है। जैसे… जंगल सांय-सांय कर रहा है। छत्तीसगढ़ में आम लोग इन्हीं दो अर्थों के लिए इस शब्द या शब्द द्वय का उपयोग करते हैं। चूंकि यह मानक शब्द नहीं है, इसलिए इसका तीसरा या चौथा आशय भी हो सकता है। लेकिन यह अधिकांश विद्वानों की जानकारी में नहीं हैं।
जहां तक सीएम साय या भूपेश बघेल का सवाल है, दोनों ही इस शब्द का उपयोग बेहद तेज रफ्तार के आशय से ही कर रहे हैं। सीएम साय जगह-जगह कहते हैं- भाजपा सरकार सांय-सांय काम कर रही है… यानी काम की रफ्तार बेहद तेज है। वहीं, भूपेश कहते हैं कि गरीबों का राशन और सुविधाएं सांय-सांय कम की जा रही हैं। इसका आशय भी तेज रफ्तार से ही है, बस मामला उलटा है। छत्तीसगढ़ में अभी दिल्ली से स्टार प्रचारक आ रहे हैं। हालांकि अब तक किसी स्टार ने इस शब्द का उपयोग नहीं किया है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में सांय-सांय की चर्चा इतनी ज्यादा है कि कोई स्टार प्रचारक इसका इस्तेमाल कर भी ले, तो हैरत नहीं होनी चाहिए।