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दुर्ग पुलिस के छापों में बड़ा खुलासा… 500 लोगों के डाक्यूमेंट संदिग्ध मिले… जांच से पता चलेगा, इनमें बांग्लादेशी-रोहिंग्या हैं या नहीं

पिछले 24 घंटे से दुर्ग पुलिस के भिलाई और दुर्ग के स्लम्स में चल रहे रहे छापों में बड़ा खुलासा यह है कि तकरीबन 2000 लोगों की जांच में पांच सौ लोगों के डाक्यूमेंट संदिग्ध पाए गए हैं। इस खुलासे से पुलिस खुद हैरान है। इनमें से कुछ को हिरासत में लिया गया है और कुछ पुलिस की निगरानी में हैं। छापों का नेतृत्व कर रहे दुर्ग एसपी जितेंद्र शुक्ला ने द स्तंभ से बातचीत में पांच सौ लोगों के डाक्यूमेंट संदिग्ध पाए जाने की पुष्टि की है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि इनमें बांग्लादेशी या रोहिंग्या मुस्लिम भी हैं, जो अवैध डाक्यूमेंट्स के साथ यहां रह रहे हैं। लोगों के संदिग्ध डाक्यूमेंट क्रास चेक करने के बाद ही यह तय किया जा सकता है। अलबत्ता, ऐसे दर्जनों लोग मिले हैं जो बांग्लादेश के सीमावर्ती पश्चिम बंगाल के जिलों के रहनेवाले हैं और काम के सिलसिले में यहां आकर रह रहे हैं और उनके दस्तावेज सही नहीं हैं। इनके बारे में प. बंगाल के कुछ जिलों की पुलिस से संपर्क किया गया है, ताकि पता लगाया जा सके।

दुर्ग पुलिस ने शुक्रवार को देर रात भिलाई में हथखोज इंडस्ट्रियल एरिया के स्लम में छापा मारकर जांच शुरू की थी। जब वहां कुछ लोगों के दस्तावेज संदिग्ध मिले, तब जांच का दायरा बढ़ाया गया। शनिवार को देर शाम तक दुर्ग जिले के 12 थानों की पुलिस इस जांच में लगाई गई है। इस दौरान 2 हजार से ज्यादा लोगों के डाक्यूमेंट जांचे गए हैं, जिनमें से करीब डेढ़ हजार लोग पं. बंगाल के अलग-अलग जिलों के निवासी मिले हैं। ये अलग-अलग काम में लगे हैं। अधिकांश के बारे में यह पता चला है कि पुलिस के पास इनके यहां रहने की कोई सूचना नहीं है। अधिकांश किराए के मकानों में रहते हैं और किसी मकान मालिक ने पुलिस को इनके दस्तावेज और सूचना नजदीकी थाने को नहीं दी है। इसलिए लगभग सौ से ज्यादा मकान मालिकों को भी बुलाया जा रहा है। उनसे पूछताछ होगी कि किराएदारी की सूचना क्यों नहीं दी गई। जिनके पास उचित कारण नहीं होगा, उनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। एसपी जितेंद्र शुक्ला ने पुष्टि की कि संदिग्ध डाक्यूमेंटधारी लोगों के साथ-साथ मकान मालिकों की जांच भी चल रही है। उन्होंने दोबारा कहा कि जब तक दस्तावेजों की जांच नहीं हो जाती और संदिग्ध लोगों के अन्य जिलों के निवास स्थान को क्रास चेक नहीं कर लिया जाता, यह नहीं कह सकते कि इनमें बांग्लादेशी या रोहिंग्या हैं, वैध दस्तावेज के बिना यहां ठहरे हैं, अथवा नहीं हैं। बहरहाल, दुर्ग पुलिस की छापेमारी ने कुछ और जिलों की पुलिस को एक्टिव किया है। पता यह भी चला कि रायपुर समेत कुछ जिलों में जल्दी ही इस तरह की विशाल जांच की तैयारी शुरू कर दी गई है।

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