राइस मिलर्स के साथ आर-पार… प्रदेशभर में एसोसिएशन नेताओं की मिलों पर छापे… अध्यक्ष योगेश को अभी छोड़ा, सचिव प्रमोद की मिल सील

दो साल के बकाया को लेकर सरकार और राइस मिलर्स के बीच चल रहा विवाद अब आर-पार पर पहुंच गया है। रविवार को खाद्य विभाग ने रायपुर, धमतरी, महासमुंद और राजनांदगांव समेत प्रदेश के कई जिलों में राइस मिलों पर छापेमारी की है। राइस मिल एसोसिएशन के नेताओं की मिलों को ज्यादातर निशाना बनाया गया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल को छोड़कर फिलहाल बाकी राइस मिल एसोसिएशन के नेताओं की मिलों पर कार्रवाई हुई है। सचिव प्रमोद जैन की मिल को जांच के बाद सील कर दिया गया है। अन्य जिलों से भी राइस मिलर्स एसोसिएशन के नेताओं पर छापेमारी की खबरें आ रही हैं। अध्यक्ष योगेश अग्रवाल से संपर्क नहीं हुआ है, लेकिन एसोसिएशन के कुछ नेताओं ने छापों को राइस मिलर्स को दबाने की कार्रवाई करार दिया है। इधर, प्रशासन का दावा है कि एक तो राइस मिलर्स धान का उठाव नहीं कर रहे हैं, जिससे संग्रहण केंद्रों में धान के बोरों के पहाड़ खड़े हो गए हैं। अचानक बारिश की दशा में काफी नुकसान का भी अंदेशा बढ़ रहा है। दूसरा, राइस मिलों में कई अनियमितताएं हैं जिनकी जांच जरूरी हो गई है।
राइस मिलर्स और खाद्य विभाग में पिछले एक हफ्ते से भारी खींचतान के हालात बन गए थे। इसीलिए यह आशंका दो-तीन दिन से व्यक्त की जा रही थी कि खाद्य विभाग की ओर से कभी भी आक्रामक कार्रवाई हो सकती है। रविवार को इसकी शुरुआत हो गई। खाद्य विभाग से मिली अधिकृत सूचना के अनुसार अफसरों ने रायपुर, धमतरी, महासमुंद और राजनांदगांव जिले में स्थित राईस मिलों पर छापे मारे गए। इनमें प्रमोद जैन की आरटी राइस मिल द्वारा खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में कस्टम मिलिंग हेतु पंजीयन कराने के उपरांत भी अनुमति एवं अनुबंध का निष्पादन नहीं कराया गया है। धान का उठाव नहीं किया जा रहा है। यही नहीं, मिल परिसर में 390 क्विंटल उसना चावल एवं 1200 क्विंटल धान फ्री-सेल वाला पाया गया। यह छत्तीसगढ़ कस्टम मिलिंग चावल उपार्जन आदेश, 2016 का उल्लंघन है। इस आधार पर प्रमोद जैन की मिल को सील कर दिया गया है। अधिकांश जगह छापे तहसीलदार के नेतृत्व में मारे जा रहे हैं। अब तक महासमुंद में श्रीवास्तव राईस मिल, नारायण राईस मिल और माँ लक्ष्मी राईस मिल, धमतरी में आकांक्षा राईस मिल, राजनांदगांव में अतुल राईस मिल में छापेमारी की खबर मिल चुकी है। दावा किया गया है कि ज्यादातर छापे राइस मिल एसोसिएशन के उन नेताओं की मिलों पर मारे गए हैं, जो शासन के साथ गतिरोध में सक्रिय नजर आए हैं। कुछ और जिलों में भी छापे चल रहे हैं और कहीं-कहीं राइस मिलें सील भी की जा रही हैं।