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हमारी ताकतः सैटेलाइट से बैटरी तक में उपयोगी 25 मिनरल्स की प्रदेश में खोज…IAS दयानंद का जोर हाईटेक तरीकों पर

छत्तीसगढ़ के जियोलाजिस्ट और वैज्ञानिक अगले एक साल में बड़े टास्क पर काम करने जा रहे हैं। यह टास्क है देश में दुर्लभ माने जाने वाले ऐसे खनिजों की छत्तीसगढ़ में खोज, जिनता उपयोग अंतरिक्ष में जाने वाले सैटेलाइट की बाहरी लेयर से लेकर बैटरी तक के निर्माण में होता है। खास बात यह है कि इनमें से कई खनिज छत्तीसगढ़ में मिल भी चुके हैं। आने वाले साल में छत्तीसगढ़ के भूवैज्ञानिक जिन 56 खनिजों के अन्वेषण में लगेंगे, उनमें से 43 प्रतिशत देश में रेयर तथा स्ट्रैटेजिक मिनरल्स माने जाते हैं। इनमें ग्रेफाइट, लीथियम, निकल-क्रोमियम और टंग्सटन जैसे खनिज हैं। छत्तीसगढ़ के माइनिंग सचिव आईएएस पी दयानंद ने भूवैज्ञानिक कार्यक्रम मडल की 24वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए छत्तीसगढ़ के भू-वैज्ञानिकों से जोर देकर कहा कि कीमती और दुर्लभ खनिजों की खोज में हाई टेकनालाजी का इस्तेमाल किया जाए। उन्होंने मौजूदा विशेषज्ञों तथा भू-वैज्ञानिकों को यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ में पिछले एक साल में खनिज से 13000 करोड़ रुपए का राजस्व मिला है। यह राज्य स्थापना यानी वर्ष 2000 में खनिजों से हुई आमदनी का 30 गुना है।

हर साल होने वाली राज्यस्तरीय भू-वैज्ञानिक कार्यक्रम मंडल की बैठक में सचिव दयानंद ने कहा कि छत्तीसगढ़ में खनिज अधारित नए उद्योगों की स्थापना के लिए यहां मिल रहे खनिज का सतत् एवं व्यवस्थित अन्वेषण किया जाए। खनिजों के विकास में लगी एजेंसियां समन्वय से काम करें। उन्होंने खनिज अन्वेषण एवं खनिज दोहन में कार्यरत केंद्र और राज्य सरकार के विभागों एवं संस्थानों द्वारा वर्ष 2023-24 में किये गये भू-वैज्ञानिक कार्यों की समीक्षा की। साथ ही प्रदेश में मिनरल्स की खोज के लिए 2024-25 में प्रस्तावित भू-वैज्ञानिक कार्यों को अंतिम रूप दिया। बैठक में भौमिकी तथा खनिकर्म विभाग के संचालक सुनील कुमार जैन सहित केन्द्र तथा राज्य शासन के विभिन्न विभागों और उपक्रमों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

लोहा और चूना पत्थर के मिले हैं बड़े भंडार

माइनिंग डायरेक्टर जैन ने बताया कि इस वर्ष कुल 1050 मिलियन टन चूनापत्थर एवं लौह अयस्क के कुल 179 मिलियन टन भण्डार आंकलित किए गए हैं। भारत सरकार ने NMET के तहत वर्ष 2023-24 में चूनापत्थर के लिए एक प्रोजेक्ट मंजूर किया है। अधिसूचित निजी अन्वेषण संस्थान को तीन प्रस्ताव स्वीकृत किए गए थे। इनमें जिसमें दो ग्रेफाईट एवं एक दुर्लभ मृदा धातुएँ (REE) शामिल है। भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग के उप महानिदेशक डॉ. सुदीप भट्टाचार्या ने बताया कि छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में बाक्साइट, गोल्ड, कॉपर, ग्लूकोनाईट, ग्रेफाइट, बेसमेटल, डायमण्ड, लिथियम, REE, PGE, फास्फोराइट, फ्लोराईट खनिज हेतु सर्वेक्षण कार्य किया गया है।

ग्रेफाइट-लीथियम तक के अन्वेषण प्रोजेक्ट

संयुक्त संचालक (भौमिकी) संजय कनकने ने बताया किमाइनिंग डायरेक्टोरेट ने 12 प्रोजेक्ट को सर्वेक्षण-पूर्वेक्षण के लिए अनुमोदित किया है। इनमें मैंगनीज पर 1, ग्रेफाईट पर 1, चूनापत्थर पर 3, लौह अयस्क पर 5 एवं बाक्साइट पर 2 प्रोजेक्ट शामिल हैं। भारत सरकार ने अधिसूचित निजी अन्वेषण संस्थान के लिए दो प्रस्ताव स्वीकृत किए हैं। इनमें 1 लिथियम तथा 1 ग्रेफाइट के लिए प्रोजेक्ट है। इसके अलावा फास्फोराईट के 2, गोल्ड के 5, ग्लुकोनाईट के 6, REE (Lithium, Tantalum etc.) के 11, लेड-जिंक के 1, फास्फेट के 1, बॉक्साईट के 5, लौह अयस्क के 9, कॉपर के 2, ग्रेफाईट की 1 एवं लीथियम का एक अन्वेषण-पूर्वेक्षण प्रोजेक्ट भी मंजूर हुआ है।

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