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Followup Story : राइस मिल एसोसिएशन से एक माह से दूर थे योगेश अग्रवाल ने… हड़ताल के बाद 13 चुनिंदा मिलर चला रहे थे एसोसिएशन

भारतीय जनता पार्टी की सरकार के दौरान राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पद से योगेश अग्रवाल का इस्तीफे की राजनैतिक हल्के में चर्चा इसलिए है, क्योंकि योगेश अग्रवाल का बैकग्राउंड ही भाजपा का है। योगेश 2018 में भी राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ही थे, लेकिन जैसे ही कांग्रेस की सरकार बनी, मिलर्स पर राजनैतिक दबाव इस तरह बना कि योगेश को पूरी कार्यकारिणी के साथ इस्तीफा देना पड़ा था। उसके बाद कांग्रेस सरकार के पूरे कार्यकाल के दौरान योगेश एसोसिएशन में तो रहे, लेकिन किसी पद में नहीं थे।

इस कहानी से पहले आपको बता दें कि राइस मिलर्स एसोसिएशन छत्तीसगढ़ में महत्वपूर्ण क्यों है। दरअसल छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था में धान का बड़ा योगदान है। यहां तकरीबन 3 हजार राइस मिलें हैं, जो लगभग 30 से 40 हजार करोड़ रुपए के धान की मिलिंग में लगी हैं। यह छत्तीसगढ़ के कुल बजट का एक-तिहाई है। इस साल भी सरकार किसानों को समर्थन मूल्य तथा 800 रुपए का बोनस मिलाकर 40 हजार करोड़ रुपए का भुगतान कर रही है, अर्थात इस रकम की धान खरीदी हुई है। पूरे धान के मिलिंग करके उसे चावल बनाकर लौटाने का काम राइस मिलर्स का ही है। इसलिए राइस मिलर्स एसोसिएशन की प्रदेश की राजनीति में अलग जगह है।

बहरहाल, प्रदेश में 2023 में भाजपा सरकार जैसे ही बनी, कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान खामोश बने रहे योगेश अग्रवाल को राइस मिलर्स ने फिर एसोसिएशन का अध्यक्ष चुन लिया। छह माह तक सब ठीक चला, लेकिन कुछ महीने पहले योगेश के नेतृत्व में राइस मिलर्स ने तीन साल के बकाया भुगतान (इसमें दो साल कांग्रेस शासन के भी) को लेकर हड़ताल कर दी। सूत्रों का कहना है कि राइस मिलर्स की इसी हड़ताल ने योगेश के एसोसिएशन के पूरी तरह हटने की इबारत लिखी। हालांकि भाजपा सरकार ने राइस मिलर्स की पूरी मांगें मान लीं, उन्हें एक-दो किश्त में बकाया भुगतान भी शुरू हो गया, लेकिन योगेश ने एसोसिएशन के कामकाज से तकरीबन एक माह पहले से हाथ खींच लिया। एसोसिएशन को दर्जनभर मिलर्स की एक समिति के हवाले किया, तभी से चर्चाएं चल पड़ी थीं कि योगेश एसोसिएशन में रहेगे या नहीं। शुक्रवार की रात अचानक योगेश अग्रवाल ने एसोसिएशन के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते हुए पूरी कार्यकारिणी भंग कर दी। नजदीकी लोगों का कहना है कि योगेश ने राइस मिलर्स को कथित तौर पर यह भी बता दिया है कि अब वे कभी भी राइस मिलर्स एसोसिएशन में सक्रिय पदाधिकारी की भूमिका में नहीं आएंगे, केवल सदस्य बने रहेंगे। योगेश के इस्तीफे और एसोसिएशन में सक्रिय भूमिका नहीं निभाने के फैसले से प्रदेशभर के राइस मिलर्स में खलबली है। शनिवार को कई राइस मिलर्स ने उनसे मुलाकात की और बातचीत की है। लेकिन बताया जा रहा है कि योगेश ने उन्हें भी विनम्रता से बता दिया है कि अब वे एसोसिएशन की गतिविधियों में नहीं रहेंगे।

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