विनोद कुमार शुक्ल को ज्ञानपीठ पुरस्कार… छत्तीसगढ़ के पहले, हिंदी के 12 वें साहित्यकार, जिन्हें यह प्रतिष्ठित सम्मान… 1971 में पहले काव्य ‘लगभग जयहिंद’ से आ गए थे चर्चा में

विशिष्ट लेखन और सृजनात्मक शैली के लेखन से धाक जमाने वाले साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल (88) को देश के सबसे प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाज़ा जाएगा। विनोद कुमार शुक्ल यह सम्मान पाने वाले छत्तीसगढ़ के पहले साहित्यकार हैं, इसलिए पूरा प्रदेश गौरवान्वित महसूस कर रहा है। वे ज्ञानपीठ सम्मान हासिल करने वाले देशभर में हिंदी के 12 वें साहित्यकार हैं। विनोद कुमार शुक्ल 1971 में अपने पहले ही काव्य लगभग जयहिंद से चर्चा में आ गए थे। उनके प्रमुख उपन्यासों में नौकर की क़मीज़, दीवार में एक खिड़की रहती थी तथा खिलेगा तो देखेंगे आदि हैं। नौकर की क़मीज़ पर 1988 में निर्देशक मणि कौल मूवी भी बना चुके हैं। विनोद कुमार शुक्ल को ज्ञानपीठ सम्मान देने की घोषणा शनिवार को चयन समिति की बैठक के बाद की गई। चयन समिति में माधव कौशिक, दामोदर मावजो, प्रभा वर्मा, डॉ अनामिका,डॉ ए कृष्णा राव, प्रफुल्ल शिलेदार, जानकी प्रसाद शर्मा और ज्ञानपीठ अकादमी के अध्यक्ष मधुसूदन आनंद शामिल हैं। ज्ञानपीठ सम्मान की घोषणा के बाद विनोद कुमार शुक्ल ने मीडिया से कहा कि मुझे कभी नहीं लगता था कि यह सम्मान मुझे मिलेगा। मेरा ध्यान पुरस्कार की तरफ़ जाता ही नहीं था।