The Stambh Photo Story… सरकारें बहुत तालियां बजवाकर जो प्लान लाती हैं, उनकी सीट जरूर चीथड़े होती है… देखिए नया रायपुर की साइकिलें

नया रायपुर अटल नगर में आप जो फुटपाथ देखते हैं, दरअसल वह साइकिलिंग के लिए बनाए गए थे। आठ साल पहले 25 किमी से ज्यादा फुटपाथ बन चुके थे। इन पर साइकिल शेयरिंग का प्लान लाया गया। जमकर प्रचार हुआ कि नया रायपुर प्रदूषण मुक्त शहर होगा, गाड़ियों की जगह साइकिलों को प्रमोट करेंगे, लोग एक एप से साइकिल घंटे या दिन के हिसाब से किराए पर लेंगे, इस्तेमाल करेंगे और शेड पर छोड़ जाएंगे। एक कंपनी बुलाई गई, उसने एप बनाया, धूमधाम से साइकिल शेयरिंग की शुरुआत हो गई। लेकिन यह धूम धीरे-धीरे धूम-2 और धूम-3 होने तक बमुश्किल एक साल में सन्नाटे में तब्दील हो गई। महंगी साइकिलें पिछले कई साल से शेड पर खड़ी हैं। इन्हें शो-पीस भी नहीं कह सकते क्योंकि पूरी साइकिलें धूल-धूसरित हैं, सबकी सीटों के चीथड़े उड़े हुए हैं और कुछ की तो पूरी सीट ही पार कर दी गई है (तस्वीर देखें)। इस बारे में पूछताछ करने पर नया रायपुर डेवलप अथारिटी (एनआरडीए) के अफसर अचरज करते हैं- अरे… पूछकर बताता हूं। यानी कि अधिकांश को पता ही नहीं है कि पिछली सरकारों ने ऐसी कोई महत्वाकांक्षी योजना लागू कर रखी थी, जिनका जमकर प्रचार किया गया। बहरहाल, द स्तंभ ने नवा रायपुर मंत्रालय के गेट नंबर-4 के सामने दर्जनभर कबाड़ साइकिलों को तस्वीर ली है। ऐसे तीन साइट और हैं, जहां साइकिलें धूल खाती पड़ी हैं। यह तय हो गया है कि नया रायपुर में साइकिलों का कोई भविष्य नहीं है। दरअसल जिस वक्त यह स्कीम लाई गई, उसी समय बुद्धिजीवियों ने ये कहकर विरोध किया था कि हर दफ्तर का डिस्टेंस इतना ज्यादा है कि कोई साइकिल की तरफ देखने वाला नहीं होगा। लेकिन सरकारें मानती कहां हैं, अफसर अड़े हुए थे कि लोग हाथों-हाथ साइकिलें लेंगे और चलाएंगे। अब उनमें से कई अफसर या तो एनआरडीए में नहीं हैं, कुछ नौकरी में नहीं हैं और एकाध तो छत्तीसगढ़ में भी नहीं हैं। बची हैं तो सिर्फ साइकिलें… जिन्हें देखकर पता चलता है कि महत्वाकांक्षाओं का कबाड़ आखिर होता कैसा है…।