आम चुनाव

डा. रमन की सीट राजनांदगांव से 57 हजार का गड्ढा ही भारी पड़ गया भूपेश बघेल को

भाजपा के संतोष पांडेय की 45 हजार से जीत में राजनांदगांव शहर की लीड महत्वपूर्ण

छत्तीसगढ़ की सबसे चर्चित सीट राजनांदगांव लोकसभा से कांग्रेस प्रत्याशी तथा पूर्व सीएम भूपेश बघेल महज 45 हजार वोटों से भाजपा के संतोष पांडेय से चुनाव हारे, लेकिन उनकी इस हार में अकेले राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस को मिला 57 हजार गड्ढा ही भारी पड़ गया। राजनांदगांव सीट से पूर्व सीएम डा. रमन सिंह लगातार विधानसभा चुनाव जीतते रहे हैं और एक बार उनके बेटे अभिषेक सिंह भी इस सीट से सांसद रह चुके हैं। डा. रमन इस बार स्वास्थ्यगत कारण तथा विधानसभा स्पीकर के प्रोटोकाल से बंधे होने के नाते राजनांदगांव सीट पर ज्यादा मूवमेंट नहीं कर पाए, लेकिन उनके बेटे तथा समर्थकों ने कमान संभाली और यह सीट भूपेश तथा कांग्रेस की संभावनाओं को तगड़ी चोट दे गई।

भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री रहते हुए राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र में काफी काम किया। भूपेश का गृह जिला राजनांदगांव से लगा है, इसलिए यहां उनका वर्षों से आना-जाना और कांग्रेसियों से संपर्क रहा है। इसके अलावा, पिछले विधानसभा चुनाव में भले ही भूपेश को सरकार से हाथ धोना पड़ा, लेकिन राजनांदगांव लोकसभा की 8 में से 5 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने अच्छा परफार्म किया था। इस सीट का चयन करने की एक वजह यह भी थी। जिन सीटों से भूपेश बघेल को लीड मिलने की उम्मीद थी, उनमें से कुछ तो अपेक्षाओं में खरी उतरीं, लेकिन कुछ में कांग्रेस को निराशा का सामना करना पड़ा। इनमें भी कांग्रेस ने सबसे निराशाजनक प्रदर्शन राजनांदगांव में किया और भूपेश यहीं से 57 हजार वोटों से पिछड़ गए। उनके नतीजे उलटने में इस सीट पर मिली हार की बड़ी भूमिका रही। कांग्रेस का राजनांदगांव शहर में इतना कमजोर प्रदर्शन क्यों रहा, क्या वहां के कांग्रेसियों ने पूरी निष्ठा से काम किया, लोकसभा के नतीजों के मंथन में इन सवालों का जवाब जरूर तलाशा जाएगा।

मोहला-मानपुर में भूपेश को सर्वाधिक लीड मिली

राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र की एसटी के लिए आरक्षित सीट मोहला-मानपुर से भूपेश बघेल सभी विस सीटों में सर्वाधिक 39340 वोटों से आगे रहे हैं। यहां कांग्रेस विधायक हैं और लोकसभा में भी लीड मिली है, इसलिए यह भाजपा के विचारक्रम वाली सीटों में सबसे ऊपर है। भूपश खुज्जी विधानसभा से 14919 तथा पंडरिया विधानसभा से भी 3409 सीटों से आगे रहे। हालांकि वे कवर्धा से 10405, खैरागढ़ से 5959, डोंगरगढ़ से 10958, डोंगरगांव से 17038 और अंत में राजनांदगांव से 57666 वोटों से पिछड़ गए। तीन सीटों में आगे रहने के कारण ही उनका हार का मार्जिन कम है और राजनांदगांव में बड़ी लीड ने संतोष पांडेय को कंफर्टेबल जीत दिलाने में खासी मदद कर दी।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button