VIP काफिले के पीछे वाली कार ने टक्कर मारी…घातक होने लगी काफिलों की स्पीड
- काफिले शहर में कितनी रफ्तार से चलें, क्या काफिले वालों को यह बताना चाहिए, इन सवालों पर अफसर चुप हैं।
- काफिलों की स्पीड इतनी क्यों, इस पर एक नेता ने कहा – क्या ये सवाल आपने पिछली सरकार वालों से पूछा था…
सोमवार को दोपहर करीब 2.15 बजे बड़े वीआईपी काफिले के साथ, लेकिन पीछे रफ्तार से चल रही रेंजरोवर एसयूवी ने मैगनेटो माल की तरफ मुड़ रही एर्टिगा कार को पीछे से जोरदार टक्कर मारी। हालांकि दोनों गाड़ियों में बैठे लोग सुरक्षित हैं। यह सौभाग्य ही रहा कि हादसे के दौरान बिलकुल बगल से गुजर रहा ट्रेलर असंतुलित नहीं हुआ। इस हादसे से एक बार फिर सवाल खड़ा हो गया कि शहर की व्यस्त सड़कों पर किसी भी वीआईपी के काफिले की रफ्तार क्या होना चाहिए। क्योंकि अधिकांश काफिले ऐसी सड़कों पर भी 70-80 की रफ्तार से ही गुजर रहे हैं, जहां टू व्हीलर मुश्किल से चल पा रही हैं। यही नहीं, काफिले के कई ड्राइवर व्यस्त सड़कों पर तेज तथा रैश ड्राइविंग के किस्से बता-बताकर खुद को गौरवान्वित भी महसूस करते हैं।
रायपुर के लोगों के लिए वीआईपी काफिलों का गुजरना आम बात है, लेकिन ज्यादातर लोग मानते हैं कि जैसे-जैसे शहर की सड़कों पर भीड़ बढ़ रही है, इन काफिलों की रफ्तार भी बढ़ रही है। इस मामले में द स्तंभ ने पुलिस और पीडब्लूडी के अफसरों से बात की। उनका कहना है कि आम आदमी हो चाहे वीआईपी कारकेड, सड़कों पर जिस स्पीड लिमिट के बोर्ड लगे हैं, उसका सभी को पालन करना चाहिए। लेकिन रायपुर में वीआईपी काफिलों पर जैसे यह स्पीड लिमिट लागू नहीं है। चाहे जयस्तंभ चौक हो, शास्त्री चौक हो, तेलीबांधा चौक या शंकरनगर चौक, ये काफिले चौराहों से भी कम से कम 80 की स्पीड से क्रास होते हैं। हालांकि पुलिस ट्रैफिक को कंट्रोल करती है, इसलिए हालात काबू में हैं।
काफिला लंबा हो तो पीछे वाली कारें खतरनाक
काफिला गुजरने का इंतजार कर रहे लोग आमतौर पर 7-8 गाड़ियां गुजरने के बाद ड्राइविंग मोड पर आने लगते हैं। लेकिन राायपुर की सड़कों पर कुछ काफिले लंबे रहते हैं, यानी 8-10 गाड़ियां या उससे ज्यादा। जो लोग काफिले के साथ चलते हैं, वे 15 कारों के पीछे हों, तब भी उनकी रफ्तार वैसी ही रहती है, जैसी काफिले के आगे चल रहे पायलट की। पीछे चल रही इन्हीं तेज रफ्तार गाड़ियों के कारण लोग कंफ्यूज हो रहे हैं। सोमवार को हादसा भी पीछे चल रही गाड़ी के कारण ही हुआ है। हालांकि पुलिस इसे बड़ा मुद्दा नहीं मानती। एक अफसर का कहना है कि काफिले ज्यादा नहीं निकलते, इसलिए लोगों को भी थोड़ा अलर्ट रहने की जरूरत है।