मूवी का सबसे बड़ा दर्द यानी सिनेमा पापकार्न और महंगा नहीं होगा… जीएसटी से देश में ऐसा बवाल, केंद्रीय परिषद को देनी पड़ी सफाई
सिंगल स्क्रीन तो नहीं लेकिन मल्टीप्लेक्स में सिनेमा देखने जाने वालों के मन में कम से कम इंटरवल में एक बार जरूर खयाल आता है कि यहां पापकार्न में आग लगी हुई है। एक छोटे कोल्डड्रिंक्स के साथ काम्बो ढाई-तीन सौ रुपए मिल मिलता है। इसमें पापकार्न उतना ही होता है, जितना शहर में 20 रुपए में मिल जाता है। मल्टीप्लेक्स में पापकार्न की महंगाई हर किसी को अखरती है और जब से यह बात आई कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय जीएसटी परिषद ने पापकार्न पर जीएसटी बढ़ाकर 18 प्रतिशत की, मिडिल क्लास दुखी हो गया। यह बातें होने लगीं कि अब तक 300 वाला काम्बो भी 400 में आएगा वगैरह…। इस मुद्दे ने पूरे देश में ऐसा बवाल मचाया कि जीएसटी परिषद को सफाई देनी पड़ गई। परिषद ने स्पष्ट किया है कि पापकार्न में 5 प्रतिशत जीएसटी लग रहा था और उतना ही रहेगा। इसकी दरों में किसी तरह का इजाफा नहीं किया गया। इस तरह, अभी मल्टीप्लेक्स में आप जितने महंगे में पापकार्न ले रहे थे, अब भी उतने में ही मिलेगा।
परिषद ने स्पष्ट किया है कि सिनेमाघरों में पापकार्न रेस्तरां सेवा के तौर पर परोसा जा रहा है, इसलिए इस पर जीएसटी की 5 प्रतिशत दर ही लागू रहेगी। अगर मल्टीप्लेक्स टिकट के साथ पैकेज के तौर पर परोसते हैं तो इसका रेट टिकट के रेट पर तय होगा। जिस तरह अभी पापकार्न परोसा जा रहा है, जब तक उसी तरह दिया जाएगा, तब तक इसके रेट में वृद्धि का सवाल ही नहीं है। परिषद ने स्पष्ट किया है कि हाल ही में हुई जीएसटी परिषद की बैठक में पॉपकॉर्न पर जीएसटी दर में कोई बढोतरी नहीं की गई है। परिषद ने लिखित स्पष्टीकरण जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि दरअसल उत्तर प्रदेश राज्य ने नमक- मसालों से मिश्रित पॉपकॉर्न पर लागू वर्गीकरण और जीएसटी दर को स्पष्ट करने का अनुरोध किया था। इस मुद्दे को 55वीं जीएसटी परिषद की बैठक में उठाया गया। इसके बाद पापकार्न पर जीएसटी बढ़ाने की हल्ला मचा। इसीलिए परिषद ने नमक और मसालों के साथ मिश्रित रेडी टू ईट पॉपकॉर्न पर उपजे विवादों के समाधान की सुविधा के लिए स्पष्टीकरण जारी करने की सिफारिश की। इसी स्पष्टीकरण में परिषद ने कहा कि आम तौर पर, पॉपकॉर्न को सिनेमाघरों में ग्राहकों को खुले रूप में परोसा जाता है। इस पर ‘रेस्तरां सेवा’ के समान 5% की दर लागू होती रहेगी। जब तक इसे सिनेमा प्रदर्शन सेवा से स्वतंत्र रूप से सप्लाई किया जाता रहेगा, जीएसटी में कोई बदलाव नहीं होगा।
पॉपकॉर्न पर अलग-अलग दरों का ये है आधार
खाद्य पदार्थों सहित सभी वस्तुओं पर हार्मोनाइज्ड सिस्टम (एचएस) वर्गीकरण के अनुसार जीएसटी लगाया जाता है। एचएस वर्गीकरण के अनुसार कुछ निर्दिष्ट वस्तुओं के अलावा चीनी के इस्तेमाल वाले सभी प्रोडक्ट पर 18% जीएसटी लगता है। भारत में, नमकीन का एचएस वर्गीकरण अलग है। नमकीन को प्री-पैकेज्ड और लेबल वाले आकार के अलावा, अन्य रूप में बेचे जाने पर 5% जीएसटी लगता है। अगर इसे प्री-पैकेज्ड कर लेबल वाले आकार में बेचा जाए, तो उस पर 12% जीएसटी लगता है। इसीलिए साल्टेड और कैरेमल पापकार्न का रेट अलग-अलग होता है।