रायपुर शूटआउट की सुपारी थी 1 करोड़ की, एडवांस मिल चुका था, यहां मारकर झारखंड में हफ्ता बढ़ाने का था प्लान
लारेंस-अमन गैंग के शूटर 2 तक रिमांड पर, किलिंग यह बताने कि गैंग की पहुंच घर तक
कुख्यात लारेंस विश्नोई गैंग की झारखंड शाखा यानी अमन साहू गैंग के शूटर रोहित और पप्पू सिंह (पाप्सा) को रायपुर में जिस किलिंग के लिए भेजा गया था, उसकी सुपारी लगभग 1 करोड़ रुपए की थी। यह सुपारी गैंग के सरगना को मिलती। दोनों शूटरों को एक-एक पिस्टल और मैगजीन के पैसों के अलावा एडवांस के तौर पर खाते में 40-40 हजार रुपए और बाइक चलाने वालों को 30-30 हजार रुपए दिए गए थे। रायपुर पुलिस ने दोनों शूटर और दोनों राइडर्स को 2 जून तक कोर्ट से रिमांड पर लिया है, लेकिन ये इतने प्रोफेशनल हैं कि अब तक ज्यादा जानकारियां नहीं मिल पाई हैं। रायपुर में जिस कारोबारी की सोमवार को हत्या करने का प्लान था, उसका झारखंड में कोयले का कारोबार है। यहां शूटआउट सिर्फ झारखंड के कारोबारियों को यह बताने के लिए किया जाने वाला था कि सब समझ लें, गैंग की नजर हर किसी के घर तक है। ऐसा इसलिए किया जा रहा था, ताकि गैंग झारखंड में एक्सटार्शन मनी (हफ्ता) बढ़ा सके।
आईजी अमरेश मिश्रा और एसएसपी संतोष सिंह की निगरानी में क्राइम ब्रांच इस इन्वेस्टिगेशन में फूंक-फूंककर चल रहा है, क्योंकि मामला बेहद संवेदनशील है। इसलिए आला अफसर हर जानकारी की ब्रीफिंग ले रहे हैं और बोकारो, जमशेदपुर, धनबाद और रांची के आला अफसरों से संपर्क बनाए हुए हैं। रायपुर में वारदात के लिए शूटरों को टिप्स और पैसे, दोनों मलेशिया के क्वालालम्पुर से दिए जा रहे थे। इन्वेस्टिगेशन टीम ने चारों के खातों का पता लगा लिया है, जिसमें एक हफ्ते के भीतर एकमुश्त 40-40 हजार रुपए और 30-30 हजार रुपए डाले गए। यह रकम केवल रायपुर में रुकने, रेकी करने, खाने-पीने, बाइक चुराकर उसमें पेट्रोल लेने तथा वारदात कर भागने तक के लिए थी। बाकी पैसे वारदात के बाद झारखंड पहुंचकर मिलने वाले थे। जो पिस्टल इंदौर से खरीदी गई, उसके पैसे अलग से आए थे तथा एक और पिस्टल विथ मैगजीन यहां भेजी जाने वाली थी।
फोन के मास्टर…जहां रुके सिर्फ वहीं का लोकेशन
गैंग के चारों लोग मास्टर हैं कि फोन से किस तरह पुलिस को गुमराह करना है। ये जहां-जहां ठहरे हुए थे, केवल वहीं फोन आन रहता था और एक एप से इंटरनेट काल पर बात कर रहे थे। रेकी के लिए निकलने से पहले भी फोन आफ कर देते थे, ताकि इनके फोन का लोकेशन एक ही टावर से कनेक्ट बताता रहे और मूवमेंट दिखे ही नहीं। वारदात के लिए निकलने से पहले सभी अपने फोन स्विच आफ कर देते और सिम यहां फेंककर भागने वाले थे। क्योंकि हर गैंगस्टर को पता है कि पुलिस सबसे पहले लोकेशन ट्रेस करेगी और फिर जिन नंबरों के लोकेशन घटनास्थल के आसपास से शुरू होकर लगातार बदलेंगे, उनपर फोकस करेगी।