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नक्सली सरगनाओं में एक प्रभाकर की गिरफ्तारी पर मुहर… पांच राज्यों में नक्सलियों की लाजिस्टिक सप्लाई का इंचार्ज… बस्तर पुलिस की बड़ी कामयाबी

छत्तीसगढ़ में नक्सल गतिविधियों का संचालन करनेवाली दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीएसजेडसी) का सदस्य, छत्तीसगढ़ के साथ-साथ ओड़िशा, झारखंड, बिहार और प. बंगाल में नक्सलियों की लाजिस्टिक सप्लाई का इंचार्ज तथा इन सभी राज्यों में पिछले 4 दशक से वांटेड नक्सली लीडर प्रभाकर उर्फ बालमुरी नारायण राव की गिरफ्तारी पर बस्तर पुलिस ने सोमवार को मुहर लगा दी है। प्रभाकर को कांकेर पुलिस ने अंतागढ़ में पुख्ता सूचना पर घेरकर पकड़ा और उससे खुफिया जगह पर पूछताछ चल रही है। प्रभाकर की गिरफ्तारी का आपरेशन कांकेर आईजी अमित तुकाराम कांबले और एसपी आईके एलेसेला की मानीटरिंग में एएसपी अंतागढ़ जयप्रकाश बढ़ई ने चलाया, जिसमें बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। प्रभाकर शीर्ष नक्सली कमांडर गणपति का कजिन बताया गया है। इस खबर की भी पुष्टि हो रही है कि प्रभाकर ने पहचान छिपाकर भिलाई के किसी प्राइवेट अस्पताल इलाज करवाया। खुफिया सूचना पर पुलिस ने अंतागढ़ और भानुप्रतापपुर में जाल बिछा रखा था। आखिरकार वह 22 दिसंबर को अंतागढ़ में पकड़ा गया। बस्तर आईजी पी. सुंदरराज ने बताया कि प्रभाकर की गिरफ्तारी नक्सल विरोधी अभियान में पुलिस की बड़ी कामयाबी है।

पुलिस ने दावा किया कि प्रभाकर उर्फ बालमुरी राव नक्सलियों की प्रमुख कमेटी सीसीएस के सचिव बसवा राजू, रामचंद्र रेड्डी उर्फ राजू, देवजी उ्रर्फ कुमार, कोसा , सोनू, मल्लाराजा उर्फ संग्राम जैसे प्रमुख नक्सली कमांडरों का करीबी है। उस पर बस्तर पुलिस ने 25 लाख रुपए का ईनाम घोषित कर रखा था। गिरफ्तारी के समय उसके पास से हथियार वगैरह नहीं मिलने की बात आई है, क्योंकि वह इलाज के लिए पहचान छिपाकर बस्तर से निकला था। वह नक्सलियों के उत्तर सब जोनल ब्योरा में लाजिस्टिक सप्लाई तथा मोपोस टीम का प्रमुख बताया गया है। उसकी गिरफ्तारी से उत्तर बस्तर में नक्सली संगठन की कमर टूट गई है। दरअसल प्रभाकर राव के कुछ दिनों से कांकेर के आसपास जंगलों में मूवमेंट की सूचना पुलिस को मिल रही थी। इस आधार पर उसकी गिरफ्तारी के लिए जाल बिछाया गया था। उससे पूछताछ में क्या बातें निकलकर आई हैं, इसे फोर्स ने गोपनीय रखा है। छत्तीसगढ़ की इंटेलिजेंस टीम भी उससे पूछताछ में मिले तथ्यों के आधार पर बड़ी कार्रवाई प्लान कर रही है। खबर यह भी है कि दुर्ग पुलिस भी पता लगा रही है कि क्या वह सचमुच इलाज के लिए भिलाई में था, अगर था तो क्या उसे किसी ने यहां शरण दी थी वगैरह। दो-ृचार दिन में यह बातें स्पष्ट होंगी, ऐसा सूत्रों का कहना है।

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