आम चुनाव

सुनील सोनी, किरणमयी, प्रमोद दुबे के बाद ढेबर चौथे मेयर, जो निगम चुनाव से पहले पहुंच गए शारदा चौक

तात्यापारा से आजाद चौक होकर आमापारा तिराहे तक सड़क चौड़ीकरण को लगभग 20 साल हो गए। तभी सैद्धांतिक सहमति बन गई थी कि ऐसा ही तात्यापारा से शारदा चौक के बीच होगा। तब सुनील सोनी महापौर थे। उसके बाद डा. किरणमयी नायक आईं, फिर प्रमोद दुबे और अब एजाज ढेबर। पूरा शहर जानता है कि निगम चुनाव से ठीक छह माह पहले हर मेयर इस सड़क को चौड़ी करने के लिए जी-जान से जुट जाते हैं। अभी ऐसी बातें आ रही हैं कि निगम चुनाव दिसंबर तक हो जाएंगे। मई चल रहा है, यानी छह महीने ही बाकी हैं। तीन भूतपूर्व मेयरों की तरह मौजूदा मेयर एजाज ढेबर भी शनिवार को शारदा चौक पहुंच गए और व्यापारियों से बात कर ली है। बातें भी लगभग वही थीं, जो दो दशक में तकरीबन दो सौ बार हो चुकीं। लेकिन बातें शुरू हुई हैं, इसलिए अगले दो-तीन महीने तक लोगों में फिर उम्मीद जागेगी कि इस बार सड़क चौड़ी हो जाएगी। चार-पांच माह तक बहुत चरणबद्ध तरीके से ऐसा एक्शन होगा, जो इस उम्मीद को जगाए रखेगा। चौड़ीकरण का पूरा प्लान निगम की एमआईसी और सामान्य सभा से होता हुआ सरकार के नगरीय प्रशासन विभाग तक जाएगा। वहां लंबा-चौड़ा मंथन भी हो जाएगा। दरअसल ये सब पहले भी हो चुका हैा। जैसे ही लगता था कि अब सरकार इस प्रोजेक्ट के लिए सौ-सवा सौ करोड़ रुपए देने ही वाली है, ठीक उसी समय आचार संहिता लग जाती थी और चौड़ीकरण की अगली पेशी चुनाव के बाद…।

अभी कहा जा रहा है कि इस बार पुरानी बातें दोहराई नहीं जाएंगी। बरसात के तुरंत बाद और निगम चुनाव की आचार संहिता से पहले चौड़ीकरण हो जाएगा। यह बात भी इसलिए उम्मीद जगाती है, क्योंकि शारदा चौक से तात्यापारा चौक के बीच का बड़ा हिस्सा वर्षों से  राजधानी के ट्रैफिक का सबसे बड़ा बाटलनेक है। जब सुनील सोनी मेयर थे, तब भी यही था, डा. किरणमयी नायक और प्रमोद दुबे के समय भी। अक्सर कहा जाता है कि चौड़ीकरण राजनीति में उलझा है, यानी निगम सरकार और राज्य सरकार की खींचतान में। लेकिन यह पूरा सच नहीं लगता। कह सकते हैं कि डा. किरणमयी और प्रमोद कांग्रेस के मेयर थे, तब प्रदेश सरकार भाजपा की थी। लेकिन सुनील सोनी और एजाज ढेबर के कार्यकाल के बड़े हिस्से में उन्हीं की पार्टी की राज्य सरकारें रहीं। दोनों सरकारें समान थीं, तब भी चौड़ीकरण नहीं हुआ, दोनों सरकार विरोधी दलों की थी, तब भी नहीं। अब मेयर ढेबर ने कोशिश शुरू की है, लेकिन टाइमिंग ऐसी है कि उनकी पार्टी की सरकार जा चुकी है।

अतीत बताता है, अगले तीन-चार माह में क्या-क्या हो सकता है… 

आने वाले कुछ दिन में नगर निगम से चौड़ीकरण का एक और पक्का-पुख्ता प्रस्ताव शासन को जाएगा। फिर बयान आएंगे कि हमने भेज दिया, ऊपर वाले नहीं करते…। खैर, इस मामले में अब जो भी बातें होंगी, सब भूतकाल से प्रेरित होंगी। वर्तमान ये है कि शनिवार को मेयर ढेबर ने घंटों तक दौरा किया है, व्यापारियों से लंबी-चौड़ी बातचीत हुई है। आशा की जा सकती है कि बुलडोजर और सड़क बनाने वाली गाड़ियां निकलेंगी और भूतकाल के तमाम अनुभव को रौंद डालेंगी। सड़क भी चौड़ी होगी और प्रभावितों को भी कोई नुकसान नहीं होगा।

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