राजधानी में राजनीति के सबसे बड़े स्मारक स्काईवाक में फंसा ऐसा पेंच…अब महीनों काम शुरू हो पाना मुश्किल
रायपुर में पिछले छह साल से राजनीति के सबसे बड़े स्मारक के तौर पर स्थापित हो चुके स्काईवाक का काम साय सरकार ने शुरू करने का फैसला तो किया, लेकिन इसमें भी बड़ा पेंच आ गया है। खबर मिली है कि जो कंपनी 2018 तक स्काईवाक बना रही थी और अधूरा छोड़कर चली गई, उसने शासन पर तकरीबन 15 करोड़ रुपए का हर्जाना क्लेम कर दिया है। कंपनी का तर्क है कि उसने शास्त्री चौक के ऊपर रोटेटरी बनवा ली थी, एस्कलेटर भी खरीद लिए थे। भाजपा सरकार के जाने के बाद कांग्रेस सत्ता में आई तो स्काईवाक का काम बंद करवा दिया गया। इस वजह से रोटेटरी और एस्कलेटर खराब हो गए। इसमें कंपनी को तकरीबन 15 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इधर, काम को दोबारा करने से पहले इतने पेमेंट और फिर लागत के नए एस्टीमेट से सरकारी अमला ठिठक गया है। अभी जो ढांचा खड़ा है, उसी का बाकी काम करवाने के लिए शासन की ओर से नया टेंडर जारी करने पर विचार शुरू हो गया है। अगर टेंडर जारी होता है, तो जानकारों के मुताबिक ठेका तय होने तथा वर्क आर्डर जारी होने में चार-पांच लग ही जाएंगे। कहा तो यह भी जा रहा है कि स्काईवाक का काम इस साल यानी 2024 के अंत तक या उसके बाद ही नए सिरे से शुरू हो सकता है।
राजधानी में शास्त्री चौक और आसपास तेजी से बढ़े ट्रैफिक को ध्यान में रखते हुए तत्कालीन पीडब्लूडी मंत्री राजेश मूणत ने स्काईवाक को प्लान किया था। दरअसल यह उन्हीं का ब्रेन चाइल्ड माना जाता है। 2016-17 में कांसेप्ट फाइनल करने के बाद टेंडर किया गया और काम शुरू हुआ। तब प्रदेश में डा. रमन सिंह की सरकार थी। स्काईवाक को अंबेडकर अस्पताल से शास्त्री चौक, जयस्तंभ चौक और कलेक्टोरेट तिराहे तक सड़क पर पैदल लोगों के लिए इसे डिजाइन किया गया। बाद में ऐसी सुविधा भी जोड़ने की तैयारी की गई कि अंबेडकर अस्पताल और डीकेएस के पेशेंट को इसी ले लाया-ले जाया जा सके। बनते-बनते और नई सुविधाएं जोड़ने के कारण स्काईवाक की लागत तभी 50 करोड़ रुपए से बढ़कर 75 करोड़ रुपए के आसपास हो गई थी। बता दें कि कांग्रेस विपक्ष में रहते हुए पहले दिन से स्काईवाक का विरोध कर रही थी।
काम दोबारा करने में भी बड़े कांप्लीकेशंस
छत्तीसगढ़ में 2018 के चुनाव में भाजपा को हराकर कांग्रेस सरकार बनी और शुरुआती एक-दो दिन में भूपेश सरकार ने अपना स्टैंड कायम रखते हुए स्काईवाक का काम बंद करवा दिया। द स्तंभ की पड़ताल में यह बात सामने आई कि तब तक शास्त्री चौक पर लगनेवाली गोल रोटेटरी भिलाई में बन गई थी। कंपनी एस्कलेटर्स भी ले आई थी। काम बंद करने के बाद स्काईवाक के ढांचे का क्या उपयोग किया जाए, इस पर कांग्रेसी 5 साल विचार करते रहे और ढांचा धूप-बारिश ऱखाकर कबाड़ होता चला गया। अंत यह फैसला नहीं हो पाया कि इसे रखना है, दूसरा शेप देना है या गिरा देना है। तत्कालीन सरकार या यह अनिर्णय रायपुर की चारों विधानसभा के नतीजों में भी थोड़ा-बहुत रिफ्लेक्ट हुआ था। छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय की सरकार बनने के बाद से ही चर्चाएं शुरू हो गई थीं कि अब स्काईवाक का काम फिर शुरू होगा। 15 दिन पहले सरकार की तरफ से स्काईवाक बनाने की घोषणा भी कर दी गई। लेकिन पुराने ढांचे को कंप्लीट करने को लेकर इतने तकनीकी कांप्लीकेशन आ रहे हैं कि मामला फिर फंसने लगा है।