छत्तीसगढ़ से लगे झारखंड में बड़े बहुमत से सोरेन+कांग्रेस सरकार की वापसी… भाजपा की हार जबकि यहां से कई नेता गए थे प्रचार में
छत्तीसगढ़ से लगे महाराष्ट्र में भाजपा ने जबर्दस्त जीत का डंका बजाया है, लेकिन यहीं की सीमा से लगे 81 सीटों वाले दूसरे राज्य झारखंड में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। सीएम हेमंत सोरेन ने नेतृत्व वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अकेले 27 से ज्यादा सीटों पर बढ़त बनाई है, जो बहुमत से करीब है। गठबंधन की बात करें तो झामुमो ने कांग्रेस और राजद के साथ बने गठबंधन ने अब तक 57 सीटों पर बढ़त बना ली है। भारतीय जनता पार्टी तथा गठबंधन अब तक की गणना के मुताबिक महज 23 सीटों पर सिमट गया है। छत्तीसगढ़ के लिए झारखंड इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि दोनों ही राज्य एक समय बने थे, समस्याएं लगभग एक सी हैं और खनिज संसाधन के मामले में भी दोनों राज्यों में समानता है। दूसरा, भाजपा ने झारखंड में पूरी ताकत झोंकी थी, यहां तक कि छत्तीसगढ़ से कई बड़े नेताओं को वहां प्रचार में लगातार भेजा गया था।
झारखंड में पिछले एक साल से केंद्रीय जांच एजेंसियों जैसे ईडी और सीबीआई की घनघोर छापेमारियां चली हैं। सीएम रहते हुए हेमंत सोरेन को जेल भेज दिया गया था। हेमंत के कई करीबी सहयोगियों और अफसरों पर छापेमारी जारी है। उनके रिश्तेदार चंपाई सोरेन झामुमो से अलग होकर भाजपा खेमे में चले गए थे और यह बातें भी आ रही थीं कि भाजपा गठबंधन की जीत पर चंपाई को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। लेकिन शनिवार को जिस तरह से नतीजे आ रहे हैं, उनसे साफ हो गया है कि झारखंड के मतदाताओं ने हेमंत सोरेन पर न केवल भरोसा जताया है, बल्कि उनकी पार्टी के गठबंधन को बहुमत से सरकार में वापस लौटा दिया है। झारखंड में ताजा स्थिति यह है कि सोरेन-कांग्रेस-राजद गठबंधन अभी 57 सीटों पर आगे चल रहा है, जिसमें 37 सीटें अकेले झामुमो की हैं। भाजपा गठबंधन 23 सीटों पर तथा निर्दलीय एक सीट पर आगे है। चुनावी विश्लेषकों को मुताबिक नतीजे इसी के आसपास रहने वाले हैं। इस तरह, जिन दो राज्यों महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव हुए हैं, वहां भाजपा गठबंधन और कांग्रेस गठबंधन अपनी सरकारें बचाने में कामयाब हो गए हैं। यह बात अलग है कि महाराष्ट्र जैसे 288 सीटों वाले बड़े राज्य में भाजपा गठबंधन के बड़े परफार्मेंस के कारण वहां की चर्चा अधिक हो रही है।