शराब घोटालाः मनीलांड्रिंग केस सुप्रीम कोर्ट से रद्द, पर यहां की जांच बेअसर
अनवर ढेबर-अरविंद 12 तक रिमांड पर ईओडब्लू को
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद ईओडब्लू की जांच में कोई असर नहीं होगा, विशेषज्ञों से ऐसी राय आई है। ईओडब्लू ने सोमवार को अनवर ढेबर और अरविंद सिंह को विशेष अदालत में पेश किया और फिर 15 अप्रैल तक की रिमांड मांगी। अदालत ने दोनों को 12 अप्रैल तक की रिमांड पर ईओडब्लू को सौंप दिया है।
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 2160 करोड़ रुपए के शराब घोटाले में बड़ा फैसला करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मनीलांड्रिंग के केस को रद्द कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की डबल बेंच ने सोमवार को अलग-अलग याचिकाओं की संयुक्त तौर पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले में ईसीआईआर और एफआईआर को देखने से पता चलता है कि कोई विधेय अपराध नहीं हुआ और अपराध से कोई आय नहीं है, इसलिए मनीलांड्रिंग का केस नहीं बनता। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जो व्यवस्था दी है, उसकी मूल प्रति आना बाकी है। गौरतलब है, इस मामले में जिन छह लोगों ने याचिकाएं लगाई थीं, उनमें एक अनवर ढेबर भी है।
इस बीच, विधि विशेषज्ञों का माननना है कि प्रति नहीं मिली हैं, लेकिन जो खबरें आ रही हैं, उनसे लगता है कि फैसला ईडी द्वारा दर्ज किए गए केस से संबंधित है। छत्तीसगढ़ में ईओडब्लू ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन इस केस की प्रवृत्ति अलग है। पीएमएलए के तहत दर्मज मनीलांड्रिंग का केस अगर रद्द भी होता है, तो छत्तीसगढ़ में ईओडब्लू की जांच निर्बाध तरीके से चलती रहेगी। केवल एक मामला यही है कि एजेंसी को सबूतों के आधार पर ही कार्रवाई करनी होगी।
टुटेजा पिता-पुत्र को राहत, अनवर पर क्या असर…
वरिष्ठ वकीलों का कहना है कि फैसला देखे बगैर कुछ नहीं कह सकते, लेकिन जितने भी याचिकाकर्ता हैं, उन्हें बड़ी राहत मिली है। इस मामले में पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा और बेटे यश टुटेजा, अनवर ढेबर, करिश्मा ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी औरसिद्धार्थ सिंघानिया याचिकाकर्ता हैं, जाहिर है सभी को राहत मिल सकती है। ईओडब्लू के केस में अनवर और अरविंद अभी एजेंसी की हिरासत में है। विधि विशेषज्ञों का कहना है कि आदेश देखने के बाद ही कहा जा सकता है कि शराब घोटाले की वर्तमान जांच पर इस फैसले का और क्या असर होगा।