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Inside Story: राजधानी के डाक्टरों ने आईएमए चुनाव में पहली बार दिखाई पार्टी पालिटिक्स… भाजपा प्रकोष्ठ के डाक्टरों ने कांग्रेस सेल से छीना ताज

देश में डाक्टरों के सबसे बड़े संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का रायपुर चैप्टर राजधानी ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की डाक्टर बिरादरी में अलग धाक रखता है। राजधानी और लगे क्षेत्रों के 800 डाक्टर इस संगठन के सदस्य हैं। इनमें 50 साल की प्रैक्टिस वाले बेहद सीनियर डाक्टर हैं, तो हाल में पीजी वगैरह करके अस्पताल या प्रैक्टिस शुरू करनेवाले भी हैं। खास बात यह थी कि रायपुर चैप्टर के लिए आईएमए में कभी चुनाव नहीं हुए। हाथ उठाकर अध्यक्ष, महासचिव और पूरी कार्यकारिणी बनाई जाती रही। लेकिन अब माहौल बदल गया है। आईएमए रायपुर में पिछले कुछ अरसे से भाजपा और कांग्रेस विचारधारा वाले डाक्टरों का शीतयुद्ध शुरू हुआ था, जो अब खुली जंग में तब्दील हो चुका है। दरअसल कुछ दिन से संगठन को खास विचारधारा से चलाने की चर्चाएं तेज हो रही थीं और डाक्टरों में कसमसाहट थी। इसीलिए तय हुआ कि आईएमए जैसे संगठन की कमान अब हाथ उठाकर किसी को सौंपना गलत होगा। जिस डाक्टर को ताकत दिखानी है, चुनावी मैदान में आए और जलवा दिखाए। इस तरह, आईएमए में इस दफा पहली बार संगठन के चुनाव शुरू हो गए। पहले चुनाव के नतीजे रविवार को देर रात आए। इन नतीजों की इनसाइड स्टोरी ज्यादा लोगों को पता नहीं है। ऐसे तमाम लोगों को हम बता रहे हैं कि आईएमए के डाक्टरों के इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस की आर-पार की लड़ाई हुई है। और इस लड़ाई में भाजपा के डाक्टरों ने कांग्रेस समर्थित डाक्टरों का सूपड़ा ही साफ कर दिया है। दूसरे पैनल से सिर्फ उपाध्यक्ष के प्रत्याशी ही जीत पाए। अध्यक्ष समेत बाकी तमाम पदों पर चुनाव जीतने वालों का पैनल भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ की सरपरस्ती में बना और इससे जुड़े डाक्टरों ने अपने पैनल को जिताने के लिए जी-तोड़ मेहनत की, जो कामयाब भी हुई।

आईएमए रायपुर के नए अध्यक्ष डा. कुलदीप सोलंकी 100 से ज्यादा वोटों से और सचिव डा. संजीव श्रीवास्तव 61 वोटों से जीते। इसी पैनल से तथा उपाध्यक्ष के लिए डा. केतन शाह को 384 वोट मिले, जो किसी भी प्रत्याशी को मिले वोटों में सर्वाधिक थे। उपाध्यक्ष के लिए दूसरे पैनल से डा. किशोर झा जीते, हालांकि उन्हें 308 वोट मिले। एक खास बात यह थी कि अध्यक्ष पद के लिए डा. आशा जैन उम्मीदवार थीं। वे आईएमए रायपुर में अध्यक्ष के लिए पहली महिला प्रत्याशी थीं, जिन्हें सीधे मुकाबले में 221 वोट मिले। जीत हासिल करने वाला पैनल भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डा. विमल चोपड़ा से जुड़ा है। इन चुनावों की एक और विशेष बात यह भी थी कि छत्तीसगढ़ में आरएसएस के प्रमुख तथा बेहद प्रतिष्ठित डा. पूर्णेन्दु सक्सेना का इसी पैनल को न सिर्फ आशीर्वाद था, बल्कि वे वोटिंग की प्रक्रिया में भी पूरी तरह सक्रिय नजर आए। इस पैनल को जिताने के लिए डा. कमेश्वर अग्रवाल और डा. सुरेंद्र शुक्ला समेत राजधानी के कई नामी डाक्टरों को सक्रिय देखा गया। इस पैनल के सामने चुनाव मैदान में जो पैनल उतरा, बताते हैं कि उसे आईएमए के निवृत्तमान अध्यक्ष तथा कांग्रेस चिकित्सा सेल के प्रदेश अध्यक्ष डा. राकेश गुप्ता का समर्थन हासिल था। डा. गुप्ता अपने पेशे के साथ-साथ राजनीति-समाजसेवा में काफी सक्रिय रहते हैं। बहरहाल, आईएमए चुनाव में 70 फीसदी मतदान हुआ, यानी 800 वोटर्स में से 30 फीसदी (273) डाक्टरों ने चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लिया। फिर भी, राजधानी के कई नामी डाक्टर मतदान करने पहुंचे। उनमें डा. अनिल वर्मा, डा. सुषमा वर्मा, डा. मानिक चटर्जी और डा. सूरज अग्रवाल रायपुर मेडिकल कालेज के प्रोफेसर रह चुके हैं. उनके साथ प्रमुख अस्पतालों के संचालक भी वोट देने आए, जिनमें डा. संदीप दवे बड़ा नाम है। इनके अलावा डा. देवेंद्र नायक, डा. सुनील खेमका, डा. अनांद सक्सेना, डा. प्रकाश भागवत, डा. संजय तिवारी, डा. अजय सक्सेना और डा. स्वाति महोबिया समेत ऐसे तमाम डाक्टरों ने मतदान किया, जिन्हें शहर के लोग अच्छी तरह से जानते हैं और वर्षों से जुड़े हैँ। मतदान पूरा होने के बाद गिनती शुरू हुई और एक-दो प्रत्याशियों को छोड़कर भाजपा प्रकोष्ठ से जुड़े पैनल के अधिकांस प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित हो गई। बहरहाल, आईएमए का यह चुनाव हार-जीत के लिए याद नहीं किया जाएगा। यह संभवतः इसलिए याद किया जाएगा कि पहली बार शहर के डाक्टरों के बीच सियासत की एक महीन सी लकीर नजर आई है, जो बाद में गहरी भी हो सकती है।

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