ग्रीन हाईड्रोजन भी छत्तीसगढ़ में एनर्जी का विकल्प… यहां बड़े पैमाने पर उत्पादन संभव… सीएम साय ने बुलाया इन्वेस्टर्स को
सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में एनर्जी यानी ऊर्जा के ऐसे विकल्पों की तलाश हो रही है, जिनसे प्रदूषण कम से कम हो। ग्रीन हाईड्रोजन इस कसौटी में खरा उतरा है, इसलिए कई देश अपने यहां वाहनों से लेकर बिजली तक में 2050 तक पूरी तरह ग्रीन हाईड्रोजन पर निर्भर रहने पर काम शुरू कर रहे हैं। गुजरात में रिन्यूएबल एनर्जी इन्वेस्टर्स मीट में सीएम विष्णुदेव साय तथा उनके सचिव आईएएस पी दयानंद ने बताया कि छत्तीसगढ़ में ग्रीन हाईड्रोजन के उत्पादन की बहुत बड़ी संभावनाएं हैं। पानी से बनने वाला ग्रीन हाईड्रोजन ऊर्जा देकर वापस पानी में ही कन्वर्ट हो जाता है, इसलिए यह छत्तीसगढ़ के पर्यावरण के लिए भी बेहद उपयोगी है। यही वजह है कि सीएम साय और सचिव दयानंद ने भविष्य की महत्वपूर्ण बायोमास आधारित योजनायें जैसे-बायो-एथेनॉल, बायोजेट एवियेशन फ्यूल और कम्प्रेस्ड बायोगैस के साथ-साथ देश-दुनिया के बडे़ निवेशकों को छत्तीसगढ़ में ग्रीन हाईड्रोजन के लिए भी आमंत्रित किया है।
ग्रीन हाईड्रोजन ऊर्जा का सबसे सुरक्षित स्त्रोत
हाईड्रोजन के बारे में सभी जानते हैं कि यह पृथ्वी पर प्राकृतिक तौर पर पाया जाने वाला तत्व है। यह दूसरे तत्वों के साथ संयोजन में, जैसे आक्सीजन के साथ मिलकर पानी के रूप में बड़ी मात्रा में है। पानी में भी आक्सीजन का एक अणु और हाईड्रोजन के दो अणु होते हैं। हाईड्रोजन को इलेक्ट्रोलिसिस के जरिए अलग किया जा सकता है। इसके अलावा हवा में मौजूद नमी से भी हाईड्रोजन अलग की जा सकती है। ग्रीन हाईड्रोजन में कार्बन का उत्सर्जन बहुत कम (नगण्य) है। इससे प्रदूषण का खतरा लगभग खत्म हो जाता है। ग्रीन हाईड्रोजन को स्टील और सीमेंट जैसे उद्योगों में बतौर एनर्जी इस्तेमाल किया जाए, तो प्रदूषण पर कंट्रोल किया जा सकता है, क्योंकि इन उद्योगों से वर्तमान एनर्जी सोर्सेज के इस्तेमाल से प्रदूषण बहुत अधिक होता है।
छत्तीसगढ़ में बायोमास की अत्यधिक उपलब्धता
सीएम साय और सचिव दयानंद ने निवेशकों को जानकारी दी छत्तीसगढ़ राज्य के पूरे ग्रामीण परिदृश्य में बायोमास जैसे कि कृषि अपशिष्ट, डेयरी उद्योग से निकलने वाले अपशिष्ट, फल एवं सब्जी बाजारों के अपशिष्ट, गोबर की बहुतायत है, जिसका उपयुक्त तकनीक से प्रसंस्करण कर वृहद पैमाने पर ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन की अपार संभावनायें हैं। यह प्रयास सफल होने पर राज्य में संचालित वृहद स्टील उद्योगों, खादय प्रसंस्करण इकाईयों, फर्टीलाईजर इकाई में ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग इन्डस्ट्रीयल एप्लीकेशन के रूप में किया जाएगा। इस तरह राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन वर्ष 2030 के लक्ष्य 05 मिलियन मीट्रिक टन उत्पादन की दिशा में छत्तीसगढ़ का अहम् योगदान निश्चित होगा तथा ऊर्जा संरक्षण की दिशा में आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने में मदद मिलेगी।