पंचायतों के आरक्षण पर एक दिन पहले ही शासन की रोक… अब पंचायत ही नहीं, शहरी चुनाव भी धुंधलके में

छत्तीसगढ़ में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिए जिलों में आरक्षण प्रक्रिया 17 दिसंबर यानी मंगलवार से शुरू होने वाली थी। अधिकांश जिलों ने अपने-अपने यहां जिला, जनपद और पंचायतों के आरक्षण का शिड्यूल घोषित कर दिया था। इस आधार पर यह भी कयास लगाए जाने लगे थे कि पंचायतों के कुछ दिन बाद नगर निगम, नगरपालिका और नगर पंचायतों का भी आरक्षण हो जाएगा तथा जनवरी-फरवरी में दोनों चुनाव आगे-पीछे हो सकते हैं। लेकिन सोमवार की शाम पंचायत एवं ग्रामीण विकास विकास ने दो लाइन का आदेश जारी कर पंचायतों की आरक्षण प्रक्रिया को रोकने के आदेश जारी कर दिए हैं। आदेश में सभी जिलों से कहा गया है कि 17 दिसंबर से शुरू हो रही प्रक्रिया अपरिहार्य कारणों से रोकी जा रही है। आदेश में इस बात का उल्लेख नहीं है कि रोकी गई प्रक्रिया कब शुरू होगी। लेकिन माना जा रहा है कि पंचायतों में आरक्षण की प्रक्रिया इस महीने होने की संभावना अब नहीं है। बिना आरक्षण के चुनाव करवाना ही संभव नहीं है।
पंचायत विभाग से 16 दिसंबर की डेट पर जारी आदेश
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त सचिव तारण प्रकाश सिन्हा के दस्तखत से जारी यह आदेश पंचायत संचालक के साथ-साथ सभी कलेक्टरों को भेज दिया गया है। आदेश में कहा गया है कि विभाग की ओर से 11 दिसंबर को त्रिस्तरीय पंचायतों का आरक्षण 17 दिसंबर से शुरू करने की समय सारिणी जारी की गई थी। इस कार्रवाई को स्थगित किया जा रहा है। 11 दिसंबर के आदेश के आधार पर तकरीबन सभी जिलों ने 17 से 20 दिसंबर के बीच त्रिस्तरीय पंचायतों का आरक्षण शुरू करने का टाइम टेबल जारी हो गया था। अधिकांश जिलों में आरक्षण प्रक्रिया दो दिन चलनेवाली थी। अब पंचायत विभाग से आदेश जारी होने के बाद ही आरक्षण की प्रक्रिया शुरू की जा सकेगी।
राजधानी समेत प्रदेशभर के नगरीय निकायों में वार्डों तथा महापौर-अध्यक्ष के प्रत्याशी और समर्थक इस आधार पर चुनाव की तैयारी में भिड़ गए थे कि पंचायत आरक्षण के तुरंत बाद नगरीय निकायों का आरक्षण होगा और इसी के साथ शहरों में भी चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। पंचायतों का आरक्षण रद्द होने से शहरी निकायों के प्रत्याशियों में बेचैनी है। जानकारों के मुताबिक जैसा होता आया है, आरक्षण प्रक्रिया पूरी होने के बाद डेढ-दो महीने में चुनाव हो जाते हैं। पंचायतों के बारे में अटकलें थीं कि आरक्षण हुआ तो फरवरी में हर हाल में चुनाव हो जाएंगे। शहरी निकायों का आरक्षण अगर दिसंबर अंत तक हुआ, तो यहां भी फरवरी अंत तक चुनाव हो सकते हैं। कई बार चुनाव लड़ चुके कुछ पार्षदों का ही करना है कि फरवरी अंत में स्कूल-कालेजों के साथ-साथ पीएससी प्रीलिम्स समेत कई प्रतियोगी परीक्षाएं होने लगती हैं। यह मार्च तक चलती हैं और अप्रैल-मई छत्तीसगढ़ में भीषण गर्मी पड़ती है। उनका कहना है कि अगर आरक्षण कुछ दिन और टलता है, तो फिर फरवरी के बाद चुनाव और दो-तीन महीने तक होने के आसार कम हैं।