पांचवें सरसंघचालक सुदर्शन महापुरुष थे और संन्यासी मानने के योग्यः रामदत्त
सीएम विष्णुदेव साय, पूर्व सीएम डा. रमन, डा. पूर्णेंदु सक्सेना, डा. राजेंद्र दुबे भी मौजूद

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पांचवें सरसंघचालक सुदर्शनजी की स्मृति में रायपुर के दीनदयाल आडिटोरियम में रविवार को सुदर्शन प्रेरणा मंच की ओर से हुई व्याख्यानमाला में मुख्य वक्ता संघ के सह सरकार्यवाह रामदत्त ने कहा- सुदर्शनजी ने रायपुर में जन्म लिया और यहीं देह त्यागी, जो महापुरुष होने की निशानी है। रामदत्त ने भागवतगीता का एक श्लोक उद्धृत करते हुए कहा कि सुदर्शनजी दरअसल संन्यासी मानने योग्य हैं। व्याख्यानमाला में मौजूद सीएम विष्णुदेव साय ने सुदर्शनजी को भविष्यदृष्टा करार देते हुए कहा कि आज से 30 साल पहले वे पर्यावरण बचाने की बात करते थे, जो अब पूरे विश्व के लिए प्रासंगिक है। इस आयोजन में छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम डा. रमन सिंह, मध्यक्षेत्र के संघसंचालक डा. पुर्णेन्दु सक्सेना और प्रेरणा मंच के मार्गदर्शक डा. राजेंद्र दुबे भी उपस्थित थे।
सुदर्शन प्रेरणा मंच 2014 से संघ के पांचवें सरसंघचालक की स्मृति में व्याख्यान माला का आयोजन कर रहा है और रविवार को दसवां आयोजन था। इस अवसर पर प्रेरणा मंच और आयोजन के विषय में प्रस्तावना मोहन पंवार ने रखा। इसके उपरांत सीएम विष्णुदेव साय ने संक्षिप्त उद्भोधन में कहा कि वे इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता रामदत्त के श्रोता के रूप में उपस्थित हुए हैं। सीएम साय ने कहा कि वे सुदर्शनजी से कई बार मिले और यह उनका सौभाग्य था। वे तीन दशक पहले उन मुद्दों पर चिंतन-मंथन करते थे, बातें करते थे, जो अब नजर आ रही हैं। इसके बाद रामदत्त ने बेहद रोचक उदाहरणों के साथ अपना संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि सुदर्शनजी का जन्म रायपुर में हुआ और उन्होंने देहत्याग भी यहीं किया। ऐसा व्यक्ति महापुरुष ही होता है। उनकी जीवनशैली इस तरह की थी कि वे संन्यासी मानने के योग्य हैं। व्याख्यानमाला शाम तक जारी रही और उपस्थित अतिथियों ने सुदर्शनजी को लेकर अपने संस्मरण सुनाए।