शासन

सीबीआई में अफसर-नेताओं की लंबी लिस्ट, जिनके रिश्तेदारों को बड़े पद

पीएससी घोटालाः शिकायतों-याचिकाओं को भी सीबीआई ने ले लिया जांच में

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने छत्तीसगढ़ के चर्चित पीएससी स्कैम में छत्तीसगढ़ ईओडब्लू तथा अर्जुनी (बालोद) थाने में दर्ज एफआईआर के साथ-साथ उन शिकायतों को भी इस मामले में दर्ज की गई अपनी एफआईआर में शामिल कर लिया है। साथ ही, पीएससी में सलेक्शन को लेकर उन तमाम शिकायतों और याचिकाओं को सीबीआई ने एफआईआर का हिस्सा बनाकर जांच शुरू कर दी है। सीबीआई की एफआईआर में 2021-22 में पीएससी के तत्कालीन चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी और तत्कालीन सचिव जेके ध्रुव के साथ-साथ तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक (तब आरती वासनिक थीं) और अन्य को आरोपी बनाया है। सूत्रों के मुताबिक एफआईआर में अन्य का आशय उन अफसरों-नेताओं से है, शिकायतों और याचिकाओं में जिनके बच्चे या परिजन को अच्छा पद मिलने पर संदेह जताया गया है।

सीबीआई के प्रवक्ता के अनुसार एजेंसी में दर्ज एफआईआर में कई शिकायतों से तथ्य लिए गए हैं। उनमें से एक में इस बात का उल्लेख है कि तत्कालीन चेयरमैन सोनवानी के बेटे नितेश और बहू निशा का चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ। सोनवानी के बड़े भाई के बेटे साहिल डीएसपी तथा बहू दीपा जिला आबकारी अधिकारी के पद पर चयनित हुए। इसी तरह, सोनवानी की बहन की बेटी सुनीता लेबर अफसर के रूप में चयनित हुईं। इसी तरह, तत्कालीन पीएससी सचिव जेके ध्रुव के बेटे सुमीत का चयन डिप्टी कलेक्टर के लिए हुआ। शिकायतें जो अब सीबीआई की एफआईआर का पार्ट हैं, उनमें कहा गया है कि पीएससी की ओर से जारी मेरिट सूची में 1 से 171 तक का क्रम कथित तौर पर लाभ पाने वालों का है, जो किसी ने किसी प्रभावशाली अफसर या नेता से जुड़े हैं। एफआईआर के मुताबिक राज्यपाल के तत्कालीन सचिव अमृत खलखो के बेटे निखिल और नेहा, डीआईजी ध्रुव की बेटी साक्षी, एक कांग्रेस नेता की बेटी अनन्या , कांग्रेस नेता की बेटी भूमिका और दामाद शशांक, एक अन्य कांग्रेस नेता की बेटी स्वर्णिम तथा कांग्रेस नेता के बेटे कौशिक का बड़े पदों पर चयन हुआ है, जो शिकायतों के आधार पर जांच का विषय है। एफआईआर में शामिल शिकायत में प्रज्ञा, प्रखर और खुशबू के चयन पर भी सवाल उठाए गए हैं। एक और शिकायत को सीबीआई ने अपनी एफआईआर में शामिल किया है, जिसमें यह बताया गया है कि पीएससी 2021-22 में बहुत अच्छे नंबर उन्हीं के आए हैं, जो या तो पीएससी के तत्कालीन पदाधिकारियों से रिलेटेड हैं, या फिर छत्तीसगढ़ के अन्य तत्कालीन प्रभावशाली अफसरों तथा कांग्रेस नेताओं से संबंधित हैं।

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