बृजमोहन को अनुराग ठाकुर-स्मृति ईरानी के साथ संगठन में बड़ी जिम्मेदारी के संकेत
देश में 13 विधानसभा सीटों पर 10 जुलाई को उपचुनाव और 13 को नतीजेः इनमें रायपुर दक्षिण का नाम नहीं, बृजमोहन को 18 जून तक देना होगा इस्तीफा
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40 साल से विधायक, 18 साल मंत्री, अब तक किसी संवैधानिक संस्था का चुनाव नहीं हारने वाले तथा संगठन, प्रबंधन और इलेक्शन में माहिर मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को मोदी 3.0 सरकार में मंत्री नहीं बनाने के बावजूद अब यह संकेत मिल रहे हैं कि उन्हें जल्दी ही भाजपा संगठन में अनुराग ठाकुर और स्मृति इरानी के साथ बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। बृजमोहन को केंद्रीय मंत्री नहीं बनाए जाने से उनके समर्थक तथा छत्तीसगढ़ भाजपा के अधिकांश लोग अचंभित हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर लोकसभा चुनाव जीते हैं, पर उन्हें भी इस बार मंत्री नहीं बनाया गया है। इसी तरह, स्मृति ईरानी को हारने के बावजूद मंत्रिमंडल में सीट मिलने की चर्चा थी, लेकिन उन्हें भी सरकार से अलग रखा गया है। इधर, भाजपाध्यक्ष जेपी नड्डा को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दे दी गई है। उत्तरप्रदेश में भाजपा का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। इसलिए यह तय हो गया है कि भाजपा संगठन में राष्ट्रीय स्तर पर आमूलचूल परिवर्तन किए जाने वाले हैं। संगठनात्मक तथा प्रबंधन क्षमता की वजह से संगठन के इसी फेरबदल में बृजमोहन को बड़ी जिम्मेदारी देने की बात आ रही है।
भारतीय जनता पार्टी हमेशा से ही अटकलों के विपरीत काम करती रही है। जिन नेताओं को लेकर जिन पदों के लिए चर्चाएं रहती हैं, अक्सर देखा गया है कि भाजपा में उसी नेता को वह पद नहीं मिलता। हालांकि पार्टी में यह सर्वमान्य तथ्य नहीं है। जैसे, लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद से चर्चा थी कि अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, एस जयशंकर और निर्मला सीतारमण जैसे नेताओं को सरकार में बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी, और ऐसा हो भी रहा है। बृजमोहन के पुराने साथियों में एसपी के शिवराज सिंह चौहान को केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलवाई जा चुकी है। उनके एक और साधी इंदौर (एमपी) के कैलाश विजयवर्गीय भाजपा संगठन में बड़ी जिम्मेदारी वाले काम संभाल रहे हैं। छत्तीसगढ़ में बृजमोहन की प्रबंधन और संगठनात्मक क्षमता का एहसास पार्टी के सभी नेताओं को है। इसलिए कहा जा रहा है कि बृजमोहन अगले पांच साल तक केवल सांसद नहीं कहलाएंगे, बल्कि उनसे संगठन का काम लिया जाएगा। चर्चा यह भी है कि एनडीए सरकार में भाजपा बहुमत से काफी दूर है। भाजपा के अधिकांश नेता चंद्रबाबू नायडू और नीतिश कुमार के बारे में यह दावा कर पाने की स्थिति में नहीं हैं कि दोनों कभी नाराज नहीं हो सकते। ऐसे में भाजपा को नए साथियों की भी दरकार है, ताकि ऐन वक्त पर मोदी सरकार अल्पमत में न आए। इसलिए पार्टी ऐसी बिसात बिछाना चाहती है, जिसमें प्रबंधन तथा संगठन में माहिर नेताओं को सामने की पंक्ति में लाया जाए। बताते हैं कि बृजमोहन अग्रवाल की गिनती भी ऐसे ही नेताओं में होती है। इसलिए संकेत मिल रहे हैं कि अगले कुछ अरसे में वे पार्टी के केंद्रीय संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका में दिखाई दे सकते हैं।