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बेतहाशा चोरियां-कोलकाता कांड से अलर्टः अंबेडकर अस्पताल व मेडिकल कालेज में 24 बंदूकधारी रहेंगे, कैमरों का जाल भी

छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े अंबेडकर अस्पताल और मेडिकल कालेज की सुरक्षा व्यवस्था को चोरों ने छिन्न-भिन्न कर दिया है। कोलकाता में जूनियर डाक्टर से दुष्कर्म-मर्डर ने भी स्वास्थ्य विभाग की आंखें खोली हैं। इस वजह से अस्पताल तथा मेडिकल कालेज की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने का फैसला लिया गया है। स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने घोषणा की है कि पूरे परिसर के सुरक्षा इंतजाम को मजबूत करने के लिए अंबेडकर अस्पताल और मेडिकल कालेज में 12-12 बंदूकधारी गार्ड तैनात किए जाएंगे तथा इनका एक सुपरवाइजर भी रखा जाएगा। ये सभी पूर्व सैनिक या पूर्व पुलिसकर्मी होंगे। साथ ही, अस्पताल-कालेज के हर कारीडोर में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, जिससे हर गतिविधि पर नजर रखी जा सके।

अंबेडकर अस्पताल और मेडिकल कालेज की सुरक्षा अभी एक निजी एजेंसी के हाथों में है। स्वास्थ्य मंत्री ने अलग सुरक्षा इंतजाम की बात कही है, जिससे यह संकेत मिल रहे हैं कि मौजूदा सुरक्षा व्यवस्था लचर मान ली गई है। दरअसल अस्पताल परिसर में रात में चोरों का बेखौफ मूवमेंट होने लगा है। अस्पताल की सरकारी संपत्ति के साथ-साथ परिसर से मरीजों और परिजन का सामान गायब होने की शिकायतों से अस्पताल प्रशासन की नाक में दम है। इसके अलावा, कोलकाता की घटना के बाद परिसर के छात्र-छात्राओं में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। जेडीए भी नाकाफी सुरक्षा इंतजाम को दुरुस्त करने की मांग उठा रहा है। इसीलिए मेडिकल कालेज की स्वशासी समिति की बैठक में भी यह मामला उठा था। इस पर विचार-विमर्श के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल-कालेज की सुरक्षा बढ़ाने का फैसला किया है।

परिसर में भी कैमरे लगाने पर होगा विचार

स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल ने मीडिया से कहा कि प्रथमदृष्टया फैसला लिया गया है कि अस्पताल में अलग बंदूकधारी गार्ड तैनात किए जाने चाहिए। बैठक में तय किया गया है कि अंबेडकर अस्पताल और मेडिकल कालेज, दोनों जगह 12-12 बंदूकधारी जवान तैनात किए जाएं, जो चौबीसों घंटे ड्यूटी करेंगे और परिसर में गश्त भी लगाएंगे। इनका सुपरवाइजर भी नियुक्त किया जाएगा, जो रोजाना दोनों भवनों और परिसर की सुरक्षा की समीक्षा करेगा। साथ ही, दोनों भवनों के हर गलियारे में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, जिनका कंट्रोल रूम अस्पताल परिसर में होगा। इन कैमरों से अस्पताल की गतिविधियों पर चौबीसों घंटे नजर रहेगी। कुछ डाक्टरों का यह भी कहना है कि पूरे परिसर में कैमरे लगने चाहिए, क्योंकि रात में यहां ऐसे बाहरी लोगों का आना-जाना बढ़ गया है, जिनका अस्पताल में कोई काम नहीं है। रोजाना छोटी-मोटी चोरियों में इनकी संलिप्तता हो सकती है। कैमरों से इनकी पहचान करना पुलिस के लिए आसान होगा। संकेत मिले हैं कि स्वास्थ्य विभाग इस मुद्दे पर भी विचार कर रहा है। परिसर में ऐसी सभी जगह को कैमरे से कवर करने का फैसला जल्दी होगा, जहां रात में काफी सूनापन हो जाता है और असामाजिक तत्वों को मौका मिलता है।

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