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WOMEN POWER : परिवार तबाह, घर छूट गया फिर भी बनाती हैं खुशियों के रंग… लाल-पालक भाजियां और टेसू-गेंदा फूलों से हर्बल गुलाल

महिलाएं कितनी धैर्यवान और साहसी होने के साथ-साथ गुणी हो सकती हैं, महिला दिवस पर ही यह सब बताने की जरूरत नहीं, क्योंकि हर दिन इन महिलाओं का ही है। बीजापुर के भैरमगढ़ कैंप में ऐसी दर्जनों महिलाएं-युवतियां हैं, जंगल में जिनके परिवार खत्म हो गए, नक्सल आतंक की वजह से अपना घर छोड़कर कैम्प में आना पड़ा और सालों से रह रही हैं। बेहद हुनरमंद इन महिलाओं ने हाल में पालक और लाल भाजी, टेसू और गेंदा के क्विंटलों फूल इकट्ठे कर लिए हैं। इन्हें साफ कर लिया गया है और शुरू हो गया है हर्बल गुलाल बनाने का सिलसिला। माँ दुर्गा महिला स्वसहायता समूह की महिलाएं पिछले 5 साल से कैंप में रहकर हर्बल गुलाल बना रही हैं और समूहों के जरिए बिकवा भी रही हैं। समूह में 10 महिलाएं हैं और होली के दो दिन पहले तक एक क्विंटल से ज्यादा गुलाल बनाकर बाजार में पहुंचवा देंगी। इससे उनके परिवार का भरण-पोषण भी चल रहा है।

ये महिलाएं होली के लिए अलग-अलग फूलों और सब्जियों से अलग रंगों वाले गुलाल बना रही हैं। इन्होंने कैंप में आने के बाद गुलाल बनाने की ट्रेनिंग ली थी। यहां के प्रोजेक्ट मैनेजर ने बताया कि ये महिलाएं इतामपार गांव की हैं, जो इंद्रावती नदी के जंगल वाले छोर में है। उन इलाकों में नक्सल मूवमेंट बहुत अधिक था, अब फोर्स के साथ मुठभेड़ें हो रही हैं। समूह की अध्यक्ष फगनी कवासी और सचिव अनीता कर्मा ने बताया कि हम फूल की पंखुड़ियां, पालक भाजी, लाल भाजी, हल्दी, बेसन और पलाश के फूलों से गुलाल बना रहे हैं। इनकी काफी डिमांड है। जिला पंचायत के साथ ही मार्केट में भी स्टॉल लगाकर इनका गुलाल बेचा जा रहा है। इससे अच्छी आमदनी हो रही है।

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