जैतखंभ अपमान में सही आरोपी कौन, किसके दबाव में अब तक आजाद, पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल
सीएम साय बलौदाबाजार कलेक्टर चौहान और एसपी सदानंद से नाराज, बड़ी कार्रवाई के संकेत
जैतखंभ को अपमानित करने के मामले में सतनामी समाज 15 मई से कलेक्टोरेट से लगे मैदान में आंदोलनरत था और लगातार एक ही आरोप लगाए जा रहे थे- जिन आरोपियों को जेल भेजा, वे फर्जी हैं तथा असली आरोपी बड़े लोगों के संरक्षण में आजाद घूम रहे हैं। इसीलिए आंदोलनकारी लगातार इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले एक हफ्ते से टेंशन था, सोशल मीडिया पर आक्रामक पोस्ट आ रही थीं, 10 तारीख को रैली में सभी को बुलाया जा रहा था। पुलिस को उग्र प्रदर्शन की भनक थी, इसके बावजूद पूरा तंत्र रहस्यमय चुप्पी साधे रहा। रैली 10 तारीख की शाम को होनी थी और इससे तीन घंटे पहले सरकार ने घटना की न्यायिक जांच की घोषणा की। जानकारों के मुताबिक कुछ घंटे पहले जांच की घोषणा का आशय यही था कि पूरे तंत्र को अनिष्ट की आशंका थी। फिर भी सावधानी बरती नहीं गई और बलौदाबाजार में छत्तीसगढ़ की अभूतपूर्व घटनाओं में से एक घट गई। उग्र प्रदर्शनकारियों ने एसपी दफ्तर फूंक दिया, करीब 50 कारों और 200 से ज्यादा दोपहिया में आग लगा दी। स्थानीय लोगों के मुताबिक कुछ देर में मौके पर जब पर्याप्त फोर्स पहुंच गई, तब पुलिस आक्रामक हो गई और पूरे शहर में सफेद कपड़े वालों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया। कई व्यापारी तथा काम से कलेक्टोरेट पहुंचे लोग पुलिस कार्रवाई की चपेट में आ गए। रायपुर ग्रामीण विधायक मोतीलाल साहू के बेटे की कार के कांच भी पुलिस ने तोड़े। कई लोगों को कार से उतारकर पीटने की बातें भी आईं। कुल मिलाकर हालात बुरी तरह तनावपूर्ण और असहज होने के बाद बलौदाबाजार अब 16 तारीख तक धारा 144 का साये में रहेगा।
सीएम साय कलेक्टर-एसपी को तलब कर लिया
बलौदाबाजार की घटना को लेकर सीएम विष्णुदेव साय प्रशासन और पुलिस की भूमिका से बेहद नाराज बताए गए हैं। उन्होंने मंगलवार को सुबह ही कलेक्टर केएल चौहान और एसपी सदानंद को तलब कर लिया और अपनी नाराजगी से अवगत करवा दिया है। सीएम ने डीजीपी अशोक जुनेजा को सोमवार रात ही इस मामले की मानीटरिंग के निर्देश दे दिए थे। संकेत मिल रहे हैं कि इस मामले में कुछ घंटे में बलौदाबाजार प्रशासन पर बड़ी कार्रवाई की जा सकती है। यह भी पता लगाया जा रहा है कि अगर समाज को संदेह है कि किसी के दबाव में असली आरोपियों को छोड़ा गया, तो यह पूरा मामला क्या है।
किन्हें पकड़ा, किन्हें किसकी शहर पर बचाया
समाज में यह बात तेजी से फैली कि एक बिहारी कांट्रेक्टर के तीन श्रमिकों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है और असली आरोपियों को पकड़ा ही नहीं गया। इन्हें किसी न किसी की शह पर बचाया गया, जो पूरे घटनाक्रम की वजह बना। दूसरा, जिस वक्त आंदोलनकारियों की रैली कलेक्टोरेट पहुंची और उनमें तथा मौके पर मौजूद मुट्ठीभर पुलिसवालों में झूमाझटकी शुरू हुई, सूत्रों का दावा है कि तब बलौदाबाजार एसपी ने अपने सुपीरियर्स से लाठीचार्ज की अनुमति मांगी। सूत्रों के मुताबिक एसपी को लाठीचार्ज से मना कर दिया गया और इसके बाद थोड़े से जवान बेहद उग्र भीड़ के सामने घुटनों पर आ गए तथा पूरे कलेक्टोरेट में ही नहीं बल्कि आसपास के दफ्तरों में भी जमकर तोड़फोड़ की गई।
रात 1.30 बजे मौके पर पहुंचे गृहमंत्री-आईजी
पूरे घटनाक्रम के कुछ घंटे बाद, सोमवार को ही रात 1.30 बजे गृहमंत्री विजय शर्मा तथा आईजी अमरेश मिश्रा बलौदाबाजार पहुंच गए। गृहमंत्री ने कहा कि अमर गुफा में जैतखंभ क्षतिग्रस्त करने के मामले में न्यायिक जांच की घोषणा से सतनामी समाज संतुष्ट था। लेकिन आंदोलन में असामाजिक तत्व कहां से घुसे और प्रदर्शन हिंसक हो गया। ऐसे लोगों की पहचान कर सख्त कार्रवाई होगी। अमर गुफा में जो घटना घटी थी, इसकी न्यायिक जांच जल्दी शुरू होगी। जानकारों के मुताबिक अमर गुफा की घटना से सतनामी समाज में गम और गुस्सा दोनों था, लेकिन जैसे ही पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया, जैसे आग ही सुलग गई।