आम चुनाव

वोटिंग 71.09%, बिलासपुर में पिछले चुनाव से कम, रायपुर में बराबरः कलेक्टरों का एक माह का धमाल भी काम नहीं आया

सात लोकसभा सीटों पर मतदान के आंकड़े बताते हैं कि मतदाताओं ने किसी की नहीं सुनी

लोकसभा क्षेत्र           2019 में              इस बार 

सरगुजा                    77.30%              78.78%

रायगढ़                     77.78%              78.43%

जांजगीर                   65.58%              65.92%

कोरबा                      75.28%              75.56%

बिलासपुर                 64.36%              63.95%

दुर्ग                           71.68%               72.29%

रायपुर                      66.0%                 66.02%

छत्तीसगढ़ के मैदानी इलाके तथा सरगुजा संभाग की सीटों पर मतदान के जो अंतिम आंकड़े आए हैं, वह चौंकाने वाले हैं। इन सीटों पर औसतन 71.09 प्रतिशत मतदान हुआ है। बिलासपुर में मतदान का प्रतिशत पिछले चुनाव से भी आधा प्रतिशत कम है। रायपुर में पिछले चुनाव के बराबर ही वोट पड़े हैं। बाकी सीटों पर तो पांच साल जितने मतदाता बढ़े, मतदान में वृद्धि उसकी चौथाई भी नहीं है। राजनैतिक विश्लेषकों के मुताबिक मतदान में पिछले चुनाव के मुकाबले नाममात्र की वृद्धि का एकमात्र कारण यही हो सकता है कि लोगों ने रुचि नहीं दिखाई। इस बार लोगों की दिलचस्पी क्यों नहीं थी या लोग कम क्यों निकले, भाजपा और कांग्रेस दोनों ही इसके अलग-अलग कारण बता रहे हैं, जो उनके फेवर में हों।

अंतिम आंकड़ों के मुताबिक रायपुर में पिछले चुनाव की तुलना में मतदान 0.02 प्रतिशत और दुर्ग में 0.6 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि दोनों शहरों में नए मतदाता पिछले चुनाव के मुकाबले औसतन 3-3 प्रतिशत बढ़ गए। अगर इनसे आधे वोटर डिलीट भी हुए होंगे तो मतदान डेढ़ से दो प्रतिशत बढ़ना ही चाहिए था। बिलासपुर में तो हद ही हो गई। वहां मतदान पिछले चुनाव के मुकाबले 0.41 प्रतिशत घट गया है। कोरबा में वोटिंग 0.28 फीसदी बढ़ी है तो जांजगीर चांपा में 0.34 प्रतिशत। यहां तक कि रायगढ़ और सरगुजा में भी रायगढ़ ही वोटिंग आधा-आधा प्रतिशत नहीं बढ़ पाई है। छत्तीसगढ़ की तीसरे चरण की सात सीटों पर जैसा मतदान हुआ, पहले और दूसरे चरण की चार सीटों पर उससे काफी ज्यादा रहा है। आपको याद होगा, राजनांदगांव में वोटिंग परसेंटेज 80 के पार गया था।

दशमलव के बाद शून्य से ऊपर जो भी वोटिंग बढ़ी, प्रशासन के प्रयासों से ही

वोटिंग में ज्यादा इजाफा क्यों नहीं हुआ, सरकारी अमला इसके अलग-अलग कारण गिना रहा है। पहले नंबर का दोष गर्मी पर मढ़ा जा रहा है, लेकिन यह स्पष्ट ही था कि छत्तीसगढ़ में मई में गर्मी पड़ती ही है। यह बात इसलिए उठ रही है कि रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर का पूरा प्रशासनिक अमला एक माह से मतदान बढ़ाने के लिए तरह-तरह के धमाल कर रहा था। रायपुर में पहली बार कलेक्टर ही नहीं, बल्कि निगम आयुक्त की वोट देने की अपील वाले फोन काल भी पूरे शहर को आए। फिर भी वोटिंग क्यों नहीं बढ़ी, इस बारे में जानकारों का अनुमान है कि संभवतः सरकारी अमला मतदान बढ़ाने के लिए केवल शहरों में सक्रिय रहा और पब्लिसिटी लूटता रहा। बड़े कलेक्टरों के पास कई स्पष्टीकरण हो सकते हैं, कुछ तो अलग-अलग एंगल से ऐसे दावे भी कर सकते हैं कि दशमलव के बाद शून्य से ऊपर जो भी मतदान बढ़ा है, वह उन्हीं के प्रयासों से संभव हो पाया। लेकिन मतदान के आंकड़ों सब कुछ सच बता रहे हैं।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button