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खूंखार नक्सली कमांडर प्रभाकरन के पकड़े जाने की चर्चा… भिलाई के एक अस्पताल में इलाज करवाकर लौट रहा था… पखांजूर में पुलिस नाकेबंदी में फंसा !

माओवादियों की सेंट्रल कमेटी के मेंबर तथा तकरीबन 3 दशक से बस्तर में सक्रिय 25 लाख रुपए के ईनामी खूंखार नक्सल कमांडर प्रभाकरन के पकड़े जाने की चर्चा है। इससे भी ज्यादा दिलचस्प सूचना यह आ रही है कि वह भिलाई के एक अस्पताल में इलाज करवाने आया था। वहां से लौट रहा था, तब पखांजूर के आसपास पुलिस की नाकेबंदी में फंसा। प्रभाकरन पकड़ा गया है या नहीं, इस बारे में बस्तर पुलिस के अधिकांश अफसरों ने अनभिज्ञता जताई है। हालांकि उनका कहना है कि अगर प्रभाकरन वाकई पकड़ा गया है, तो यह बस्तर पुलिस की बेहद बड़ी कामयाबी है। फिलहाल ज्यादा बड़ी चुनौती यह पता लगाना भी है कि क्या प्रभाकरन समेत नक्सली नेता अब भी पखांजूर-अंतागढ़ के रास्ते बालोद, राजनांदगांव या भिलाई-दुर्ग के अस्पतालों में पहचान छिपाकर इलाज करवाने आते हैं, फिर लौट जाते हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि पुलिस इसकी तह में भी जा रही है। फिर भी, प्रभाकरन को लेकर गहरी चुप्पी है।

प्रभाकरन को लेकर बस्तर मीडिया ने आला अफसरों से बातचीत करने की कोशिश की है, लेकिन उसकी अरेस्टिंग या मुठभेड़ वगैरह की कोई सूचना अब तक नहीं आई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नक्सलियों ने जंगल में कुछ बैनर लगाए हैं, जिनमें प्रभाकरन की अरेस्टिंग की बात कही गई है और मांग की गई है कि उसे कोर्ट में पेश किया जाए। अगर प्रभाकरन पुलिस के हत्थे चढ़ा है या इसी तरह की कोई बात है, तो यह नक्सलियों की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीएसजेडसी) के लिए कमर तोड़कर रख देने वाली खबर है। मीडिया की खबरों के मुताबिक इसीलिए बौखलाए नक्सली बैनर-पोस्टर लगा रहे हैं। पखांजूर से लेकर जगदलपुर तक पुलिस अफसर इस बारे में खामोश बने हुए हैं, इसलिए प्रभाकरन का मामला रहस्यमय हुआ है। हालांकि कुछ पुलिस अफसरों ने ही बताया कि प्रभाकरन 1997 से बस्तर में सक्रिय है। भिलाई में वह कौन से अस्पताल में इलाज के लिए गया था, यह सूचना बस्तर पुलिस के पास तो है, लेकिन अभी दुर्ग पुलिस को संभवतः इसकी जानकारी नहीं है। प्रभाकरन को लेकर स्थिति बस्तर पुलिस के अधिकृत बयान के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा, जो अभी तक आया नहीं है।

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