आज की खबर

शराब घोटाले का दूसरा पहलू… सुप्रीम कोर्ट ने कहा- तो मनीलांड्रिंग भी नहीं हुई

छत्तीसगढ़ शराब केस में एक याचिका पर शीर्ष कोर्ट की डीबी में सुनवाई

  • अनवर ढेबर 8 तक रिमांड पर ईओडब्लू को- एसीबी-ईओडब्लू ने शराब घोटाले में गुरुवार रात गिरफ्तार कारोबारी अनवर ढेबर को शुक्रवार शाम एडीजे निधि शर्मा तिवारी की अदालत में पेश किया और 15 अप्रैल तक की रिमांड मांगी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने 8 अप्रैल तक, चार दिन की रिमांड पर अनवर को ईओडब्लू को सौंप दिया। अनवर से ईओडब्लू में दर्ज एफआईआर के तथ्यों पर मुख्यालय में ही पूछताछ की जाएगी

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में शुक्रवार, 5 अप्रैल को एक याचिका पर सुनवाई करते हुई सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने कहा कि अगर कोई अपराध नहीं है और अपराध से आय नहीं है, तो यह मनीलांड्रिंग भी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने ईडी से कहा-  यह देखते हुए कि कोई अपराध और अपराध की आय नहीं है, छत्तीसगढ़ शराब नीति घोटाले के संबंध में कुछ आरोपियों के खिलाफ मनीलॉन्ड्रिंग मामले को रद्द करने की इच्छा व्यक्त करते हैं। पीठ ने कहा कि 8 अप्रैल को इस मामले की फिर सुनवाई की जाएगी। अतिरिक्त सालिसिटर जनरल से जस्टिस ओका ने कहा कि हम इसलिए ऐसा कर रहे हैं ताकि इसे सत्यापित करें। अगर कोई अनुमानित अपराध नहीं है, तो शिकायत को रद्द कर दिया जाएगा। इसके बा आपका (ईडी का) बयान भी दर्ज किया जाएगा।

जस्टिस ओका और जस्टिस भुइयां की पीठ ने पूर्व आईएएस अफसर अनिल टुटेजा और बेटे यश टुटेजा, करिश्मा ढेबर, अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी और सिद्धार्थ सिंघानिया की रिट याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई की। जस्टिस ओका ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू से कहा, “अगर कोई अपराध नहीं है, तो अपराध की कोई आय नहीं है। इसलिए, मनीलॉन्ड्रिंग नहीं हो सकती है।” इससे पहले, याचिकाकर्ताओं के इस तर्क के बाद कि ईडी का मामला आयकर अधिनियम के कथित उल्लंघन पर आधारित था, जो धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक अनुसूचित अपराध नहीं है, अदालत ने उनके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।

… तो अपराध की कार्यवाही नहीं हो सकती

सुनवाई की शुरुआत में न्यायमूर्ति ओका ने टिप्पणी की कि-“शिकायत पर विचार नहीं किया जा सकता क्योंकि कोई द्वेषपूर्ण अपराध नहीं था।” इस पर एएसजी राजू ने जवाब दिया कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ एक नया विधेय अपराध दर्ज किया गया था। जिसके आधार पर एक अलग ईसीआईआर (प्रवर्तन) केस सूचना रिपोर्ट) ईडी द्वारा दायर की जाएगी। जस्टिस ओका ने एएसजी से पूछा- “क्या आपने ऐसा किया है? मामले में चुनौती आरोपी के खिलाफ लंबित वर्तमान शिकायत से संबंधित है। शिकायत जाने दो, जहां तक ​​इस मामले का सवाल है, इसमें कोई पूर्व निर्धारित अपराध नहीं है, इसलिए अपराध की कोई कार्यवाही नहीं हो सकती है, और इसलिए शिकायत को रद्द करने की जरूरत है।”,अदालत ने तब एएसजी राजू से यह सत्यापित करने के लिए कहा कि क्या यह तथ्यात्मक रूप से सही है कि वर्तमान कार्यवाही सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई उसी शिकायत से उत्पन्न हुई है, जिसमें विभिन्न आरोपी शामिल थे।

(लाइव-ला एप में वरिष्ठ विधि विशेषज्ञ सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और सुनवाइयों को हूबहू रिपोर्ट करते हैं। सुनवाई के ये अंश द स्तंभ ने वहीं से लिए हैं और इसे अंग्रेजी से हिंदी में शब्दशः ट्रांसलेट किया है) 

 

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button