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झीरम हमले में शामिल 4 नक्सली सरेंडर… सीएम साय ने कल की थी बंदूक छोड़ने की अपील… इसका असर, फोर्स का खौफ भी

बस्तर के ओरछा जंगलों में 4 अक्टूबर को मुठभेड़ में 31 नक्सलियों को मार गिराने के बाद हालात बदल रहे हैं। बस्तर में फोर्स ने पिछले कुछ आपरेशंस से माओवादियों में खौफ पैदा किया है। मंगलवार को सीएम विष्णुदेव साय ने पीएम नरेंद्र मोदी से चर्चा के बाद बस्तर के माओवादियों से अपील की थी कि वे गोली छोड़कर सरेंडर करें और मुख्यधारा में लौटें। सरकार उनकी बेहतर जिंदगी की कोशिश करेगी। साथ ही बस्तर का पिछड़ापन भी तेजी से दूर किया जाएगा। इन सब बातों का असर दिखने लगा है। मंगलवार को जगदलपुर के पास दरभा इलाके के ऐसे 4 नक्सलियों ने सरेंडर किया है, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वे करीब 11 साल पहले झीरम घाटी में कांग्रेस नेताओं के नरसंहार में शामिल थे। इनमें नक्सलियों का एक चर्चित नाम पांडू भी है, जिस पर 1 लाख रुपए का ईनाम है। इसके अलावा तीन ईनामी नक्सली और हैं, जिनमें एक महिला भी है। बस्तर एसपी शलभ सिन्हा ने बताया कि सरेंडर करने वाले चारों लोग नक्सलियों के कांगेर नेशनल पार्क एरिया की दरभा डिवीजन के सदस्य हैं। इसी डिवीजन ने नक्सलियों की मिलिट्री डिवीजन के साथ मिलकर झीरम घाटी में कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमले को अंजाम दिया था, जिसमें पार्टी की तत्कालीन पहली पंक्ति के अधिकांश नेता शहीद हो गए थे। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल भी थे। इधर, सरकार ने दोहराया है कि जो भी नक्सली सरेंडर कर मुख्यधारा में लौटेंगे, उनके सात सरेंडर तथा पुनर्वास पालिसी के तहत जीवन निर्वाह करने लायक सुविधाएं तथा तात्कालिक राशि भी दी जाएगी।

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