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सरदार पटेल आरएसएस विरोधी थे, उन्होंने संघ पर बैन लगाया… अब इन्हीं लोगों का उनकी विरासत पर दावा, हंसी आती है… कार्यसमिति में खरगे का भाषण सरदार पटेल पर केंद्रित

अहमदाबाद में कार्यसमिति की  विस्तारित बैठक में कांग्रेस पूरी तरह लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल पर केंद्रित हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को कार्यसमिति की बैठक के शुरुआती भाषण में कहा कि सरकार पटेल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विरोधी थे और उन्होंने संघ पर बैन लगा दिया था। अब हंसी आती है कि आज उसी संस्था के लोग सरदार पटेल की विरासत पर दावा करते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने पं. जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल के संबंधों को रेखांकित किया और कहा कि 14 अक्तूबर 1949 को सरदार पटेल ने पं. नेहरू के अभिनंदन ग्रंथ में कहा था- “पिछले दो कठिन सालों में पं. नेहरू ने देश के लिए जो अथक परिश्रम किया है, वो मुझसे अधिक अच्छी तरह कोई नहीं जानता है। मैंने इस दौरान उनको भारी भरकम उत्तरदायित्व के भार के कारण बड़ी तेजी के साथ बूढे होते देखा है।” कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सरदार पटेल हमारे दिलों में बसे हैं, विचारों में बसे हैं। हम उनकी विरासत को आगे बढा रहे हैं। कांग्रेस कार्यसमिति की यह बैठक हमने अहमदाबाद में सरदार पटेल म्यूजियम में इसी सोच से रखी है। हम उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

कांग्रेस कार्यसमिति की अहमदाबाद में मंगलवार को शुरू हुई विस्तारित बैठक तीन दिन चलेगी। कांग्रेस ने पहले दिन ही साफ कर दिया कि पं. जवाहरलाल नेहरु और सरदार पटेल के संबंधों को लेकर आरएसएस और अनुषांगिक संगठनों ने देश में जिस तरह भ्रांति फैलाई, अब कांग्रेस उसका जवाब देगी। इस बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ-साथ सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत पार्टी के तमाम आला नेता मौजूद थे। छत्तीसगढ़ से कांग्रेस पार्टी की अग्रिम पंक्ति के लगभग सभी नेता इस बैठक में हिस्सा ले रहे हैं। बैठक की शुरुआत करते हुए अध्यक्ष खरगे ने बताया कि पं. नेहरु और सरदार पटेल के बीच लगभग रोज पत्र-व्यवहार होता था। पं. नेहरू तमाम विषयों पर उनकी सलाह लेते थे। सरदार पटेल के प्रति पं. नेहरू के मन में अपार आदर था। कुछ सलाह लेनी होती थी, तो वे खुद सरदार पटेल के घर जाते थे। सरदार पटेल की सुविधा के लिए CWC की बैठकें उनके निवास पर रखी जाती थीं। खरगे ने कहा कि सरदार पटेल की विचारधारा आरएसएस के विपरीत थी। बाबा साहेब अम्बेडकर को संविधान सभा का सदस्य बनाने में महात्मा गाँधी और सरदार पटेल की अहम भूमिका थी। डा. अम्बेडकर ने 25 नवंबर 1949 को संविधान सभा के अपने अंतिम भाषण में खुद कहा था- “कांग्रेस पार्टी के सहयोग के बिना संविधान नहीं बन सकता था।” लेकिन जब संविधान बना, तो आरएसएस ने महात्मा गांधी, पंडित नेहरु, डॉ अम्बेडकर और कांग्रेस की बहुत आलोचना की।

कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने अपने भाषण में वर्तमान राजनैतिक समयावधि का उल्लेख भी किया। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने संसद परिसर में महात्मा गांधी और बाबा साहेब की भव्य मूर्ति को उठाकर एक कोने में डाल कर अपमान किया। गृहमंत्री ने राज्यसभा में ये कहकर बाबा साहेब का मजाक उड़ाया कि आप लोग अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर कहते हैं। अगर इतना नाम भगवान का लेते, तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता। लंबे भाषण में अध्यक्ष खरगे ने कहा कि कांग्रेस पार्टी संविधान और संविधान निर्माताओं दोनों का सम्मान करती है और उसकी रक्षा करना जानती है। जबकि आज बीजेपी और संघ परिवार के लोग गाँधी जी से जुड़े संस्थानो पर कब्जा कर उसे उन्हीं के वैचारिक विरोधियों को सौंप रहे हैं।

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