बीजापुर में पत्रकार की हत्या में साय सरकार का आरोपियों पर कड़ा प्रहार… उधर, कांग्रेस अध्यक्ष के साथ आरोपी ठेकेदार चंद्रकार की तस्वीर के मायने भी

बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के मामले में विष्णुदेव साय सरकार ने ठेकेदार सुरेश चंद्रकार समेत हत्या के सभी आरोपियों को न सिर्फ शव मिलने के कुछ घंटे के भीतर घेरकर पकड़ा, बल्कि जघन्य वारदात में शामिल ऐसे लोगों पर चौतरफा करार प्रहार भी किया है। ठेकेदार चंद्रकार की प्रापर्टी बुलडोज आफ की जा रही है, उसके आधा दर्जन बैंक खाते होल्ड कर लिए गए हैं। एक-एक इंच प्रापर्टी की वैधता-अवैधता पर जांच खड़ी कर दी गई है। कुल मिलाकर हत्या के बाद ठेकेदार चंद्रकार को साय सरकार ने एक तरह से क्रश कर दिया है। इस मामले का एक और पहलू ठेकेदार चंद्रकार की प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के साथ तस्वीर का आना भी है। जब भी ऐसी कोई तस्वीर जारी होती है, संबंधित राजनीतिज्ञों की तरफ से तुरंत बयान आता है कि वे नेता हैं, सैकड़ों लोग मिलते रहते हैं। लेकिन आम लोगों के मन में एक सवाल तो घर कर ही रहा है कि आखिर एक ही पक्ष के नेताओं के साथ क्रिमिनल्स की तस्वीरें क्यों आ रही हैं। लोग पूछने लगे हैं कि अगर ऐसे मामलों में भारतीय जनता पार्टी के लोग प्रोएक्टिव हैं, तो कांग्रेस पक्ष के लोगों को ऐसे जघन्य अपराधियों के साथ नेताओं की तस्वीरें जारी करने की कोई मनाही भी नहीं है। वे भी तस्वीरें जारी कर सकते हैं लेकिन क्या ऐसा है कि सत्तापक्ष के नेताओं के साथ क्रिमिनल्स की तस्वीरें नहीं हैं, या नहीं के बराबर हैं इसलिए मिलती नहीं हैं।
बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर का शव शुक्रवार की शाम ठेकेदार चंद्रकार के बैडमिंटन कोर्ट में टैंक के अंदर मिला। एक घंटे के भीतर ही सीएम विष्णुदेव साय ने सोशल मीडिया पर कड़े एक्शन से जुड़ी पोस्ट कर दी। यही नहीं, उन्होंने बस्तर आईजी समेत तमाम आला पुलिस अफसरों को निर्देश दिए कि हत्या के आरोपी तुरंत पकड़े जाने चाहिए और उन्हें अच्छी तरह से सबक भी सिखा दिया जाए। सीएम साय आधी रात तक आला पुलिस अफसरों के संपर्क में रहे। तब तक, जब तक कि यह स्पष्ट नहीं हो गया कि सुबह तक सारे आरोपी गिरफ्तार कर लिए जाएंगे। दरअसल पुलिस ने शनिवार को आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया। यही नहीं, ठेकेदार चंद्रकार की प्रापर्टी पर बुलडोजर भी पहुंच गए और एक्शन शुरू हो गया। बैंक खातों को इसलिए होल्ड किया गया, ताकि फरारी में इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सके। बीजापुर एसपी को हटाने की मांग की गई, इसकी भी जांच करवाई जा रही है। यह मामला एक्शन से जुड़ा है तथा आरोपियों पर कुछ और कड़ी कार्रवाई चल रही है। इस पूरे मामले में दूसरा पहलू राजनीति से जुड़ा है। प्रदेश में पिछले चार-छह माह में जितनी भी जघन्य वारदातें हुई हैं, उनमें कहीं न कहीं से राजनीतिक कनेक्शन निकला है या निकाला गया है। रायपुर जेल के सामने फायरिंग के मामले में एक आरोपी की नगर निगम के प्रमुख कांग्रेस पदाधिकारी के साथ जारी हुई तस्वीर ने राजधानी में तहलका मचा दिया था। इससे पहले, सूरजपुर में हवलदार की पत्नी-बेटी की हत्या के मुख्य आरोपी के बारे में साफ तौर पर बात आई थी कि वह कांग्रेस से जुड़े एक संगठन का पदाधिकारी था। अब, पत्रकार मुकेश चंद्राकर के हत्या के मुख्य आरोपी के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की तस्वीर वायरल हुई है। मान लिया जाए कि यह महज इत्तेफाक हो सकता है, तो यह सवाल उठता है कि ऐसे इत्तेफाक बार-बार क्यों हो रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के नेता इन्हीं इत्तेफाकों को लेकर हमलावर हैं। ऐसी तस्वीरों का कांग्रेस की तरफ से जो खंडन आता है, उसकी भाषा एक ही है कि नेताओं से सैकड़ों लोग मिलते हैं, तस्वीरें ली जाती हैं और तब तक यह बिलकुल स्पष्ट नहीं रहता कि ऐसे लोग बाद में बड़े कांड में शामिल होकर संबंधित नेता को ही विवादास्पद कर सकते हैं। कांग्रेस पर अगर सत्तापक्ष क्रिमिनल कनेक्शन के आरोप लगाता रहा है, तो यह जरूरी है कि कांग्रेस पार्टी को ऐसा कुछ न कुछ करना होगा, जिससे वे इस तरह की तस्वीरों को हतोत्साहित करें। अन्यथा सत्तापक्ष इस तरह से आरोप उछालकर लोगों को चकित करता रहेगा, उनका मानस बनाता रहेगा और सफाई की मुद्रा में आते-आते विपक्ष की धार कम होती चली जाएगी।